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रणदीप हुडा ने `ओपेनहाइमर` का उदाहरण देते हुए अमेरिकी फिल्मों को बताया `प्रोपेगेंडा`

Updated on: 31 March, 2024 03:19 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

रणदीप ने अमेरिकी फिल्मों के पीछे के प्रोपेगेंडा पर प्रकाश डाला और बताया कि वे अपने देश के नायकों को स्क्रीन पर कैसे चित्रित करते हैं.

रणदीप हुडा. तस्वीर/इंस्टाग्राम

रणदीप हुडा. तस्वीर/इंस्टाग्राम

रणदीप हुडा हाल ही में फिल्म `स्वातंत्र्य वीर सावरकर` से निर्देशक बने हैं, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका भी निभाई है. अभिनेता लंबे समय से उन लोगों के खिलाफ फिल्म का बचाव कर रहे हैं जो इसे `प्रोपेगेंडा` का टैग दे रहे हैं. हाल ही में, एक इंटरव्यू में, रणदीप ने अमेरिकी फिल्मों के पीछे के प्रोपेगेंडा पर प्रकाश डाला और बताया कि वे अपने देश के नायकों को स्क्रीन पर कैसे चित्रित करते हैं. उन्होंने ऑस्कर विजेता फिल्म `ओपेनहाइमर` का उदाहरण दिया. उन्होंने लोगों को हिरोशिमा और नागासाकी बम विस्फोटों की याद दिलाई जिसमें हजारों लोग मारे गए थे. दुनिया के पहले परमाणु बम जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर की देखरेख में बनाए गए थे, जो क्रिस्टोफर नोलन की ऑस्कर विजेता फिल्म का विषय था.

रणवीर अलाहबादिया के साथ एक इंटरव्यू में रणदीप हुड्डा ने फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा, “अमेरिका ने ओपेनहाइमर को बनाया. उस आदमी ने परमाणु बम बनाया. यह कितनी दर्दनाक घटना थी. जापान में, हिरोशिमा और नागासाकी में नागरिकों पर, उन्होंने रात में बम विस्फोट किया. अमेरिका अच्छा लड़का है. उन्होंने वियतनाम में क्या किया? उनकी फिल्में प्रोपेगेंडा हैं, उनकी फिल्में पूरी दुनिया को बताती हैं कि `हम सबसे अच्छी सेना हैं, हम अच्छे लोग हैं.` जापानी, जर्मन बुरे हैं` और इतिहास में भी यही बात है, क्योंकि उन्होंने इतिहास लिखा है.`


 


रणदीप ने आगे कहा, ``लेकिन ये सच नहीं है. वो तो यहां तक कहते हैं कि अमेरिका में हमेशा एलियंस आते रहते हैं. एलियंस केवल अमेरिका को ही देख सकते हैं. उन्होंने ओपेनहाइमर, ट्रूमैन जैसे अपने नायकों पर चित्र बनाए और दुनिया उन्हें देखती है. हम राजनीतिक एजेंडे के कारण हमेशा अपने नायकों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.


इस बीच, इस महीने की शुरुआत में `स्वातंत्र्य वीर सावरकर` के ट्रेलर लॉन्च पर, रणदीप ने स्वतंत्रता सेनानी और उनके बारे में जनता की धारणा पर अपने विचार साझा किए. अभिनेता ने कहा, ``यह एक प्रोपेगेंडा विरोधी फिल्म है. यह सावरकर के खिलाफ दशकों से चल रहे सभी दुष्प्रचार का मुकाबला करेगा. वह कोई माफ़ीवीर नहीं थे. सिर्फ उन्होंने ही नहीं, उस समय कई अन्य लोगों ने भी दया याचिकाएं लिखीं. मैंने फिल्म में इसे बहुत विस्तार से संबोधित किया है.``


उन्होंने आगे कहा, “याचिकाएँ और जमानत याचिकाएँ थीं. यह किसी भी कैदी का अधिकार है. यदि कोई अदालत गया है, तो उसे पता होगा कि अदालत को कैसे संबोधित किया जाता है. वह सेल्यूलर जेल में बंद थे, वह वहां से निकलकर देश के लिए सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से योगदान देना चाहते थे. उन्होंने बाहर आकर देश के लिए योगदान देने के लिए जो कुछ भी कर सकते थे, किया.”

रणदीप ने आगे उल्लेख किया कि सावरकर स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष के लिए भारत में गुप्त समाजों के शीर्ष पर थे, और सावरकर अंततः धारणा की जेलों से मुक्त हो रहे हैं और लोगों को अब उनकी फिल्म के साथ उनकी सच्ची कहानी पता चलेगी. उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू और कई अन्य लोगों पर फिल्में बनी हैं. अमेरिका ने परमाणु बम के जनक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर के आधार पर `ओपेनहाइमर` बनाई है. हमारे देश में हम अपने ही प्रतीकों को मार गिरा रहे हैं.”

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