Updated on: 29 June, 2024 02:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
इस कार्यक्रम में स्वयं आशा भोसले और उनकी पोती जनाई भोसले भी मौजूद थीं. इस कार्यक्रम का उद्घाटन श्री मोहन भागवत ने किया.
सोनू निगम और आशा भोसले
विले पार्ले के दीनानाथ मंगेशकर ऑडिटोरियम में आज संगीत और फिल्म उद्योग की नामचीन हस्तियों की असाधारण भीड़ उमड़ी. इस अवसर पर महान गायिका पद्म विभूषण आशा भोसले को श्रद्धांजलि देने वाली पुस्तक `स्वरस्वामिनी आशा` का भव्य विमोचन किया गया. इस कार्यक्रम में स्वयं आशा भोसले और उनकी पोती जनाई भोसले भी मौजूद थीं. इस कार्यक्रम का उद्घाटन श्री मोहन भागवत ने किया.
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इस विमोचन कार्यक्रम में भारतीय संगीत में आशा भोसले के अद्वितीय योगदान का जश्न मनाया गया, जिसमें उनकी यात्रा और उपलब्धियों को दर्शाया गया. पंडित हृदयनाथ मंगेशकर, भारती मंगेशकर, सोनू निगम, आशीष शेलार, अशोक सराफ, जैकी श्रॉफ, पूनम ढिल्लों, सुरेश वाडकर, सुदेश भोसले, श्रुति भोसले और हरीश भिमानी सहित उद्योग जगत की कई नामचीन हस्तियां आशा भोसले को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम में शामिल हुईं.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने प्रतिष्ठित गायिका पद्म विभूषण और महाराष्ट्र भूषण आशा भोसले पर ‘स्वरस्वामिनी आशा’ नामक पुस्तक का विमोचन किया. पुस्तक (1200 रुपये में, जो आने वाले सप्ताह में बुकस्टोर्स में उपलब्ध होगी) 90 लेखकों की 90 रचनाओं का संग्रह है, जिसमें आशा भोसले के सार को दर्शाती तस्वीरें भी शामिल हैं. श्री मोहन भागवत ने अपने संबोधन में भारतीय संगीत और संस्कृति में आशा भोसले के अपार योगदान की सराहना की, उनकी बहुमुखी प्रतिभा और समर्पण को उजागर किया जिसने पीढ़ियों को प्रेरित किया है.
सोनू निगम ने आशा भोसले को अपना गुरु बताते हुए कहा कि उन्होंने उनके मार्गदर्शन में संगीत की नींव रखी. गायक सोनू निगम ने शुरुआत में कहा, “आज हमारे पास सीखने के लिए ऐप हैं. जब हमारे पास ये नहीं थे, तब हमारे पास आशा जी और लता जी थीं. शिक्षक और गुरु-शिष्य परंपरा." एक मार्मिक भाव में, उन्होंने अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों और गुलाब जल से उनके पैर धोए. जैकी श्रॉफ ने आशा ताई को धरती को फिर से हरा-भरा बनाने के प्रतीक के रूप में एक पौधा भेंट किया. कार्यक्रम का समापन आशा भोसले को संगीतमय श्रद्धांजलि के साथ हुआ, जिसमें प्रसिद्ध कलाकारों ने प्रदर्शन किया, जिससे पुरानी यादों और उत्सव की शाम बन गई. `स्वरस्वामिनी आशा` वैल्यूएबल ग्रुप द्वारा प्रकाशित की गई है.
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