परिवार संग गुड़ी पड़वा मनाते हैं आदित्य देशमुख. (फोटोज़/सोशल मीडिया)
आदित्य बताते हैं, ``गुड़ी पड़वा हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. यह हमारे नए साल का प्रतीक है, नवीकरण और समृद्धि का समय. ठीक उसी तरह जैसे ईसाई 31 दिसंबर को मनाते हैं, यह हमारी सच्ची शुरुआत है. यह एक ऐसा त्योहार है जो धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी के आगमन का स्वागत करते हुए सभी को एक साथ लाता है."
आदित्य के लिए, गुड़ी पड़वा की सबसे यादगार यादों में से एक गुड़ी उठाने की पारंपरिक रस्म है, एक बांस की छड़ी जिसे कलश और शालू साड़ी के टुकड़े जैसी शुभ वस्तुओं से सजाया जाता है. वह बड़े चाव से याद करते हैं, ``मुझे याद है कि जब मेरी मां गुड़ी बनाती हैं, तो यह हमारे उत्सवों की शुरुआत का प्रतीक होता था. यह परंपरा हमारे परिवार में पीढ़ियों से चली आ रही है, और मैं इसे उसी प्यार और उत्साह के साथ आगे बढ़ाने का इरादा रखता हूं."
आदित्य के लिए गुड़ी पड़वा उत्सव के दौरान परिवार अहम भूमिका निभाता है. उन्होंने बताया, ``हम पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, देवी-देवताओं के लिए विशेष पूजा करते हैं और साथ मिलकर स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करते हैं. मेरे पसंदीदा हिस्सों में से एक रिश्तेदारों से मिलना और मिठाइयों के माध्यम से खुशी फैलाना है. मिठाई खाना इसका एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो उस मिठास का प्रतीक है जिसे हम नए साल में लाने की उम्मीद करते हैं."
त्योहार पर बनने वाले पकवानों के बारे में बात करते हुए आदित्य ने कहा, ``इस दौरान आलू की सब्जी, श्रीखंड और अमरखंड के साथ पूड़ी जरूरी व्यंजन हैं. मेरी मां कभी-कभी स्वादिष्ट आम्रखंड के साथ पूरन पोली भी बनाती हैं. यह एक दावत है जो वास्तव में इस त्योहार के सार का प्रतिनिधित्व करती है."
वह किस तरह गुड़ी पड़वा मनाते हैं पूछने पर उन्होंने बताया कि, "मुझे उम्मीद है कि मैं एक दिन की छुट्टी लूंगा और अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताऊंगा. अगर चचेरे भाई-बहन आते हैं, तो हम हंसी-मजाक करते हैं. कैरम और ताश जैसे इनडोर गेम खेलते हैं." उन्होंने अपने फैंस को गुड़ी पड़वा की बधाई भी दी और कहा, "यह साल आपके जीवन में भरपूर प्यार और खुशियां लेकर आए. प्यार और सकारात्मकता फैलाते रहना याद रखें- यही खुशी की कुंजी है."
ADVERTISEMENT