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ईद-उल-अजहा 2024: एक पावन पर्व, यहां जाने सामाजिक और धार्मिक महत्व

Updated on: 16 June, 2024 12:39 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

ईद-उल-अजहा की तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती हैं. लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विशेष पकवान बनाते हैं.

 सभी मुसलमान मस्जिद में एकत्रित होकर नमाज अदा करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं. Pics/Shadab Khan and Nimesh Dave

सभी मुसलमान मस्जिद में एकत्रित होकर नमाज अदा करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं. Pics/Shadab Khan and Nimesh Dave

Bakrid Mubarak 2024: इस्‍लाम में 2 बड़े पर्व मनाए जाते हैं, एक ईद उल फितर तो दूसर ईद उल अज़हा. 17 जून को ईद उल अज़हा मनाई जाएगी. ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह त्यौहार बलिदान, निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है और दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर सभी मुसलमान एकजुट होकर अल्लाह का शुक्रिया अदा करेंगे और उनके आदेशों का पालन करेंगे.

ईद-उल-अजहा का महत्व
ईद-उल-अजहा का इतिहास पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की उस महान कुर्बानी से जुड़ा हुआ है जब उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने प्रिय बेटे इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी देने का निश्चय किया था. उनकी इस निष्ठा और भक्ति को देखकर अल्लाह ने इस्माईल की जगह एक भेड़ की कुर्बानी कराई. इस घटना से यह सिखने को मिलता है कि अल्लाह की राह पर चलते हुए हमें अपने सबसे प्रिय चीजों का भी त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए.


कुर्बानी का महत्व
ईद-उल-अजहा का प्रमुख कार्य कुर्बानी है. इस दिन मुसलमान एक जानवर (जैसे भेड़, बकरी, गाय या ऊंट) की कुर्बानी देते हैं और उसके मांस को तीन भागों में बांटते हैं. एक भाग अपने परिवार के लिए, दूसरा भाग दोस्तों और पड़ोसियों के लिए और तीसरा भाग गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए. यह कार्य हमें सिखाता है कि समाज में सभी के साथ मिल-जुलकर रहना और एक-दूसरे की सहायता करना कितना महत्वपूर्ण है.


त्यौहार की तैयारियां
ईद-उल-अजहा की तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती हैं. लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विशेष पकवान बनाते हैं. इस दिन की शुरुआत सुबह की नमाज से होती है, जिसमें सभी मुसलमान मस्जिद में एकत्रित होकर नमाज अदा करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं. नमाज के बाद कुर्बानी का कार्य किया जाता है और फिर सभी मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं.

सामाजिक और धार्मिक महत्व
ईद-उल-अजहा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक महत्व भी है. यह पर्व हमें सामाजिक समरसता, भाईचारे और एकता का संदेश देता है. कुर्बानी के मांस को जरूरतमंद लोगों में बांटकर हम समाज के कमजोर वर्गों की सहायता करते हैं और उन्हें भी अपनी खुशियों में शामिल करते हैं. यह त्यौहार हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने अंदर की बुराइयों का त्याग करना चाहिए और एक सच्चे मुसलमान के रूप में जीवन जीना चाहिए.


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