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Buddha Purnima 2024: भगवान गौतम बुद्ध के ये चार आर्य सत्य, आपके जीवन को कर देंगे रोशन

Updated on: 22 May, 2024 08:44 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इस बार 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी.

वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा कहा जाता है.

वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा कहा जाता है.

Buddha Purnima 2024: गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्य उनकी शिक्षाओं का केंद्रीय सिद्धांत हैं और बौद्ध धर्म की नींव माने जाते हैं. ये सत्य जीवन के दुख और उसकी समाप्ति के मार्ग को समझाने के लिए बनाए गए हैं. चार आर्य सत्य इस प्रकार हैं:

1. दुःख (दुःख का सत्य)
पहला आर्य सत्य यह है कि जीवन में दुःख अनिवार्य है. जन्म, बुढ़ापा, बीमारी, और मृत्यु के रूप में दुःख हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं. इसके अलावा, जीवन में न मिलने वाली इच्छाएँ, प्रिय वस्तुओं और लोगों का खोना, और अवांछित परिस्थितियों का सामना करना भी दुःख का कारण बनते हैं. बुद्ध ने यह सिखाया कि सुख के क्षण अस्थायी होते हैं और अंततः दुख का कारण बनते हैं. इस सत्य का उद्देश्य हमें यह समझाना है कि दुःख जीवन का अभिन्न अंग है और इससे बचा नहीं जा सकता.


2. दुःख समुदय (दुःख का कारण)
दूसरा आर्य सत्य बताता है कि दुःख का कारण तृष्णा (इच्छा) है. यह तृष्णा जीवन की विभिन्न वस्तुओं, अनुभवों, और संबंधों के प्रति होती है. हमारी इच्छाएँ अनंत हैं, और उन्हें पूरा न कर पाने की स्थिति में हमें दुःख होता है. इसके अलावा, तृष्णा के कारण हमें अस्थायी सुख मिलता है, लेकिन वह सुख भी स्थायी नहीं होता और पुनः दुःख का कारण बनता है. इच्छाओं का यह चक्र हमें निरंतर दुःख की ओर ले जाता है.


3. दुःख निरोध (दुःख का निवारण)
तीसरा आर्य सत्य बताता है कि दुःख का अंत संभव है. यह सत्य हमें यह सिखाता है कि तृष्णा और आसक्ति का त्याग करने से हम दुःख से मुक्ति पा सकते हैं. निर्वाण, जिसे दुःख से मुक्ति का अंतिम लक्ष्य कहा जाता है, तब प्राप्त होता है जब हम तृष्णा और आसक्ति के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं. निर्वाण एक शांतिपूर्ण और स्थायी अवस्था है जहाँ मनुष्य सभी दुखों से मुक्त हो जाता है.

4. दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा (दुःख निरोध का मार्ग)
चौथा आर्य सत्य दुःख से मुक्ति पाने का मार्ग दर्शाता है, जिसे अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है. यह मार्ग आठ तत्वों से मिलकर बना है:


  • यथार्थ को समझना और चार आर्य सत्यों को स्वीकार करना.
  • अहिंसा, करुणा और सच्चाई के प्रति समर्पित रहना
  • सत्य बोलना, अपशब्दों और झूठ से बचना.
  • नैतिक और सदाचारी कर्म करना.
  • ऐसी आजीविका अपनाना जो किसी को नुकसान न पहुँचाए.
  • बुरे विचारों और कार्यों से बचना और अच्छे विचारों को बढ़ावा देना.
  • मन को जागरूक और सतर्क रखना.
  • ध्यान के माध्यम से मन की एकाग्रता प्राप्त करना.

गौतम बुद्ध के चार आर्य सत्य हमें जीवन के दुःख और उसके कारणों को समझने का मार्ग दिखाते हैं. ये सत्य हमें तृष्णा और आसक्ति से मुक्त होकर शांति और संतोष प्राप्त करने का मार्ग बताते हैं. बुद्ध के अनुसार, इन सत्यों का पालन करके हम निर्वाण प्राप्त कर सकते हैं और जीवन के सभी दुखों से मुक्त हो सकते हैं.

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