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`इन नेताओं की वजह से हारी सोलापुर सीट`, बीजेपी नेता दिलीप शिंदे ने लगाया आरोप

Updated on: 09 June, 2024 10:35 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

`आगामी 288 विधानसभा चुनावों में पार्टी को लोकसभा चुनाव जैसी गलती नहीं दोहरानी चाहिए. एक प्रभावी नेता जोकि स्थानीय हो उसे मौका दिया जाना चाहिए.`

दिलीप शिंदे ने सोलापुर में की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

दिलीप शिंदे ने सोलापुर में की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

Solapur News: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नई सरकार बनाने की तैयारी की जा रही है. तीसरी बार सरकार बनाने के लिए एनडीए ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का सहारा लिया है. ऐसे में अब सोलापुर लोकसभा क्षेत्र के बीजेपी कार्यकर्ता पार्टी के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते नजर आ रहे हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप शिंदे ने हाल ही में सोलापुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि `सोलापुर लोकसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. 19 स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोलापुर लोकसभा के लिए पार्टी से नामांकन मांगा, लेकिन इन दलित उम्मीदवारों को आमंत्रित नहीं किया गया. जबकि नामांकन मांगने वाले अभी प्रत्याशी मजबूत प्रत्याशी थे. सोलापुर लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें नजरअंदाज किया गया. उनका अपमान भी किया गया. पार्टी ने राम सातपुते को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली प्रणीति शिंदे से 74 हजार 197 वोटों से हार गए.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप शिंदे ने शहर अध्यक्ष नरेंद्र काले पर आरोप लगाते हुए कहा कि `लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें मेरा अपमान किया. मेरा नाम लेकर  उन्होंने कहा कि सोलापुर का कोई भी दलित योग्य नहीं है. यहीं वजह है कि सोलापुर जिले के बाहर से आए व्यक्ति राम सातपुते को टिकट दिया गया.` शिंदे ने बताया कि `पार्टी ने पुराने कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं किया और यही वजह है कि सोलापुर में बीजेपी की हार हुई. चुनाव के दौरान ऐसी स्थिति बनी कि पार्टी के कुछ लोग कांग्रेस में शामिल हो गये. इसके लिए जिला अध्यक्ष और शहर अध्यक्ष जिम्मेदार हैं और उनकी वरिष्ठ स्तर से जांच होनी चाहिए.` उन्होंने बताया कि `आगामी विधानसभा के संयोजक श्रीकांत भारती हैं, उन्हें 48 लोकसभा सीटों का संयोजक बनाया गया है. हालाँकि, टिकट मनमाने ढंग से वितरित किए गए और व्यवस्था ठीक से नहीं संभाली गई, इसलिए विधानसभा चुनाव का काम उन्हें सौंपने के बजाय, किसी अनुभवी नेता को विधानसभा चुनाव की व्यवस्था सौंपी जानी चाहिए.` 


शिंदे ने कहा, `चुनाव के दौरान कुछ लोगों ने देवेन्द्र फडणवीस का नाम आगे कर अपना स्वार्थ साधा है. पुराने कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया. इनका उपयोग केवल फोटो सेशन के लिए किया जाता था सोलापुर लोकसभा चुनाव के लिए कोई राजनीतिक रणनीति नहीं बनाई गई. सोलापुर में करीब 2 से 3 लाख वोट अंबेडकरी समाज के हैं. अगर पार्टी से मुझे उम्मीदवारी दी होती तो इसका फायदा होता. मैं बताना चाहूंगा कि श्रीकांत भारती ने संजय क्षीरसागर को अंत तक समय नहीं दिया. इसलिए संजय क्षीरसागर पार्टी और संगठन छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए. इससे पार्टी को नुकसान का सामने करना पड़ा. साथ ही पार्षदों, पदाधिकारियों और नेताओं को भी विश्वास में नहीं लिया गया. आज देवेन्द्र   फड़णवीस कम सीटों के कारण संकट में हैं. लेकिन इसके पिछले क्या कारण है इसकी जांच होनी चाहिए?  सिर्फ शहर की उत्तरी विधानसभा को छोड़कर पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ है.`


दिलीप शिंदे ने बताया कि मुझे लगता है कि आगामी 288 विधानसभा चुनावों में पार्टी को लोकसभा चुनाव जैसी गलती नहीं दोहरानी चाहिए. एक प्रभावी नेता जोकि स्थानीय हो उसे मौका दिया जाना चाहिए. जैसे जारांगे पाटिल मराठा समुदाय के नेता हैं और मराठा समुदाय के करीबी हैं. वैसे इस अंबेडकरी समाज को बीजेपी से एक नेता मिलना चाहिए. पार्टी में एक भी सांसद विधायक अंबेडकरी समाज से नहीं जुड़ा है. सोलापुर लोकसभा क्षेत्र की सामाजिक समानता और जनसंख्या को ध्यान में रख कर पार्टी ने आगे का निर्णय लेना चाहिए. बता दें, बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप शिंदे पिछले 25 से 30 साल से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें उम्मीदवारी नहीं दी. उम्मीद है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव के लिए दिलीप शिंदे के बारे में सोचेगी और उन्हें मौका देगी.


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