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`जैसे मेरे पति की शहादत को मिला जवाब`- शहीद की पत्नी बोलीं, ऑपरेशन सिंदूर न्याय की तरह लगा

Updated on: 08 May, 2025 08:04 AM IST | Mumbai
Archana Dahiwal | mailbag@mid-day.com

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर भारतीय सर्जिकल हमलों ने पुणे के शहीदों के घरों में भावनाओं का सैलाब ला दिया.

कौस्तुभ गनबोटे का परिवार: (बाएं से) बहू, पत्नी संगीता गनबोटे, कौस्तुभ गनबोटे और बेटा कुणाल गनबोटे

कौस्तुभ गनबोटे का परिवार: (बाएं से) बहू, पत्नी संगीता गनबोटे, कौस्तुभ गनबोटे और बेटा कुणाल गनबोटे

बुधवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों पर भारत द्वारा आधी रात को किए गए सटीक हमलों के बाद पुणे के शहीदों के घरों में गम और गर्व की गूंज सुनाई दी.

22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए संतोष जगदाले की विधवा प्रगति जगदाले मुश्किल से अपने आंसू रोक पाईं.


भारत के हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “यह आतंकवादियों द्वारा हमारी बेटियों के सिंदूर को मिटाने के तरीके का करारा जवाब है. जब मैंने ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुना, तो मैं टूट गई. ऐसा लगा जैसे देश ने हमारा दर्द साझा किया है. मैं सरकार को तहे दिल से धन्यवाद देती हूं.”


उनकी बेटी असावरी जगदाले ने भी भारी आवाज में यही भावना दोहराई.

“जब मैंने ऑपरेशन का नाम सुना तो मैं बहुत रोई. यह व्यक्तिगत लगा. यह न्याय जैसा लगा. हम 15 दिनों के भीतर कड़ी और त्वरित कार्रवाई करने के लिए पीएम मोदी के बहुत आभारी हैं,” उन्होंने उस भयावह दिन को याद करते हुए कहा जिसने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया.


“ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं है - यह एक श्रद्धांजलि है, एक शक्तिशाली संदेश है कि हमारे पिता और पतियों का जीवन व्यर्थ नहीं गया.”

अभी भी अपने पिता को खोने के गम से उबर रही असावरी ने कहा कि ऑपरेशन का नाम उनकी माँ और पीछे रह गई कई अन्य विधवाओं जैसी महिलाओं के प्रति सहानुभूति दिखाता है.

“जब अमित शाह श्रीनगर में हमसे मिलने आए, तो महिलाएँ रो रही थीं और कह रही थीं ‘हमारा सिंदूर हमसे छीन गया’. शायद इसीलिए इस ऑपरेशन का नाम ऐसा रखा गया. यह प्रतीकात्मक लगता है - यह एक जवाब जैसा लगता है,” उन्होंने कहा.

उसी आतंकी हमले के एक अन्य पीड़ित कौस्तुभ गणबोटे के बेटे कुणाल गणबोटे ने भी अपनी भावनाएँ साझा कीं.

उन्होंने कहा, "हम इस पल का इंतजार कर रहे थे. दर्द कभी कम नहीं हुआ, लेकिन भारतीय सेना की यह कार्रवाई हमें न्याय का एहसास कराती है." "इसका नाम सिंदूर रखना एक शक्तिशाली इशारा है. यह मेरी माँ जैसी महिलाओं का सम्मान करता है, जिन्होंने ऐसी कीमत चुकाई जो किसी को भी नहीं चुकानी चाहिए." परिवारों ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य मिशन नहीं है - यह उनके व्यक्तिगत नुकसान, उनके साहस और आतंक के कारण पीछे छूट गए भारत के बेटों और बेटियों की स्थायी भावना की राष्ट्रीय स्वीकृति है. सुबह-सुबह, परिवारों को समाचार चैनलों के माध्यम से हमले के बारे में पता चला, और उनके फोन लगातार बजने लगे.

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