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राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे से बोले जगदीप धनखड़- `इतिहास में कभी भी ऐसी उपेक्षा नहीं हुई`

Updated on: 02 July, 2024 07:20 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान जब प्रमोद तिवारी बोल रहे थे, तो जगदीप धनखड़, मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश के बीच बहस छिड़ गई.

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे. तस्वीर/पीटीआई

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे. तस्वीर/पीटीआई

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हर बार "कुर्सी की निंदा" नहीं कर सकते और कहा कि उनकी ओर से कुर्सी का अनादर किया गया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान जब कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी बोल रहे थे, तो राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के बीच बहस छिड़ गई.

रिपोर्ट के मुताबिक धनखड़ ने कहा कि जयराम रमेश उन्हें बार-बार टोकते रहे और जब जयराम रमेश फिर से टिप्पणी का जवाब देने के लिए खड़े हुए, तो धनखड़ ने उन्हें बुद्धिमान और प्रतिभाशाली बताया और मजाक में कहा कि वह खड़गे की जगह ले लें जो उनके लिए सबसे उपयुक्त हो. धनखड़ ने आगे कहा, "जयराम रमेश, आप बुद्धिमान हैं, बहुत प्रतिभाशाली हैं, आपको तुरंत आकर खड़गे की जगह ले लेनी चाहिए क्योंकि कुल मिलाकर आप उनका काम कर रहे हैं." इस पर खड़गे ने कहा, "सुनो, वर्ण व्यवस्था की बात मत लाओ, अपने दिमाग में भर लो कि वर्ण व्यवस्था है. इसलिए तुम रमेश को बहुत बुद्धिमान, बहुत समझदार कह रहे हो और मैं मूर्ख हूं ताकि वह मेरी जगह ले सके".


धनखड़ ने जवाब देते हुए कहा कि खड़गे उनकी बातों को नहीं समझ पाए और उन्हें तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. रिपोर्ट के अनुसार जब खड़गे ने कहा कि उन्हें कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पद दिया है और यह शक्ति केवल उन्हीं में निहित है, धनखड़ या जयराम रमेश में नहीं तो धनखड़ ने कहा कि खड़गे ने कुर्सी का अनादर किया.


उन्होंने खड़गे को संबोधित करते हुए कहा, "आप हर बार कुर्सी को नीचा नहीं दिखा सकते. आप हर बार कुर्सी का अनादर नहीं कर सकते. आप अचानक खड़े हो जाते हैं और बिना मेरी बात समझे जो चाहें बोल देते हैं. इस देश और संसदीय लोकतंत्र और राज्यसभा की कार्यवाही के इतिहास में कभी भी कुर्सी के प्रति इतनी अवहेलना नहीं हुई जितनी आपने की". उन्होंने कहा, "आपके लिए आत्मचिंतन का समय आ गया है. आपकी गरिमा पर कई बार हमला किया गया है. मैंने हमेशा आपकी गरिमा की रक्षा करने की कोशिश की है."


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