Updated on: 15 December, 2024 04:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में एक किसान परिवार में हुआ था.
फ़ाइल छवि
भारतीय इतिहास में कई महान हस्तियों के नाम दर्ज हैं जिन्होंने देश के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है. इन महान विभूतियों में सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम भी शामिल है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, कुशल प्रशासक और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे. वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में एक किसान परिवार में हुआ था.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
वह महात्मा गांधी के सहयोगी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे. देश की आजादी के बाद सरदार पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने. हर साल 15 दिसंबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्य तिथि मनाई जाती है. लेकिन उनका योगदान और भूमिका इतिहास के पन्नों में हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. वह आज भी लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की 74वीं पुण्य तिथि है. आज के इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 74वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनका व्यक्तित्व और कृतित्व देशवासियों को विकसित भारत की एकता, अखंडता और संकल्प के लिए प्रेरणा देगा.` पीएम मोदी ने कहा कि पटेल का व्यक्तित्व और कृतित्व राष्ट्र की एकता, अखंडता और विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए नागरिकों को प्रेरणा देगा.
गौरतलब है कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने हमेशा भारत की एकता और अखंडता को प्राथमिकता दी. उनके सम्मान में गुजरात के केवड़िया में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" बनाई गई है, जो उनके महान योगदान का प्रतीक है. आपको बता दें कि साल 1928 में सरदार पटेल ने गुजरात के बारडोली इलाके में किसानों के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक सफल आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम की आग भड़क उठी. इसके बाद उन्हें "सरदार" की उपाधि दी गई और बारदोली सत्याग्रह के दौरान उनके नेतृत्व के लिए उनकी बहुत प्रशंसा की गई.
सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराकर भारत को एकजुट करने का महान कार्य किया. इसलिए उन्हें "भारत का लौह पुरुष" कहा जाता है. वह अपनी दृढ़ता और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थे. वह निर्णय लेने में दृढ़ थे और किसी भी बाधा से नहीं डरते थे. उनका दृढ़ संकल्प देश के एकीकरण में सहायक सिद्ध हुआ.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT