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शरद पवार और राहुल गांधी मरकडवाडी में करेंगे दौरा, EVM के खिलाफ लंबे मार्च की होगी तैयारी

Updated on: 07 December, 2024 01:03 PM IST | mumbai

शरद पवार और राहुल गांधी मरकडवाडी में ईवीएम के खिलाफ आंदोलन को गति देने की योजना बना रहे हैं. शरद पवार 8 दिसंबर को मरकडवाडी का दौरा करेंगे, जबकि राहुल गांधी वहां से ईवीएम विरोधी लंबा मार्च निकालेंगे.

ईवीएम को लोकतंत्र के लिए

ईवीएम को लोकतंत्र के लिए "घातक" बताते हुए आव्हाड ने इस मुद्दे को देशव्यापी बनाने की अपील की.

मालशिरस तालुका के मारकडवाडी गांव में बैलेट पेपर के जरिए ट्रायल वोटिंग कराने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. पुलिस ने इस मामले में मालशिरस एनसीपी (शरद पवार) के विधायक उत्तम जानकर के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उनके साथ 100 से अधिक ग्रामीणों पर भी केस दर्ज किया गया है. यह मामला तब सामने आया जब गांव में ईवीएम के खिलाफ बैलेट पेपर से वोटिंग प्रक्रिया का ट्रायल किया गया.

इस घटनाक्रम ने विपक्षी दलों को ईवीएम विरोधी आंदोलन को और तेज करने का मौका दे दिया है. एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "पुलिस प्रशासन ने मारकडवाडी के 17 लोगों के साथ-साथ 100 से 200 अन्य ग्रामीणों पर केस दर्ज किया है, जिन्होंने ईवीएम के खिलाफ बैलेट पेपर वोटिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाया. यह कार्रवाई न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि पूरे राज्य में चल रहे ईवीएम विरोधी प्रदर्शनों को और भड़का सकती है."


आव्हाड ने आगे लिखा कि मारकडवाडी का यह कदम राज्यभर के लिए एक मिसाल बनेगा. उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि `मारकडवाडी पैटर्न` पूरे महाराष्ट्र में लागू होगा." उन्होंने यह भी बताया कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार अगले रविवार (8 दिसंबर) को मारकडवाडी का दौरा करेंगे. इसके साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इसी गांव से ईवीएम के खिलाफ एक बड़ा मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं.


ईवीएम को लोकतंत्र के लिए "घातक" बताते हुए आव्हाड ने इस मुद्दे को देशव्यापी बनाने की अपील की. उन्होंने लिखा, "ईवीएम के खिलाफ यह चिंगारी पूरे देश में फैलनी चाहिए. इन्कलाब जिंदाबाद!"

 


 

इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल मारकडवाडी बल्कि पूरे महाराष्ट्र में राजनीति को गरमा दिया है. विपक्षी दल जहां ईवीएम पर सवाल उठाते हुए बैलेट पेपर को वापस लाने की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार और प्रशासन इस मामले में कड़ा रुख अपनाते दिख रहे हैं.

इस विवाद से ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर छिड़ी बहस को एक नई दिशा मिल गई है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दलों का आंदोलन क्या मोड़ लेता है और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है.

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