Updated on: 07 May, 2025 08:06 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थलसेना, नौसेना तथा वायुसेना के प्रमुख उपस्थित थे.
चित्र सौजन्य - पीटीआई
पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में 6-7 मई की रात को भारत में `ऑपरेशन सिंदूर` सफलतापूर्वक किया गया. इस विशेष व्हाइट-ऑपरेशन के पीछे की योजना भी उतनी ही रोमांचक थी, तथा 3 मई को दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में पूरी प्रक्रिया को गति दी गई. बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थलसेना, नौसेना तथा वायुसेना के प्रमुख उपस्थित थे. यहां यह निर्णय लिया गया कि भारत फिर से पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर हवाई हमले करेगा.
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इसके बाद, ऑपरेशन योजना पर काम कर रहे अधिकारियों को साउथ ब्लॉक में रोक दिया गया. 5 मई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा अंतिम प्रस्ताव प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया और उसे मंजूरी मिल गई. फिर 6-7 मई की मध्य रात्रि को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर घुसकर 9 आतंकवादी ठिकानों पर 24 मिसाइलों से हमला किया. यह ऑपरेशन केवल 25 मिनट तक चला और इसमें आतंकवादियों के महत्वपूर्ण लांच पैड, प्रशिक्षण केंद्र और आधार शिविर नष्ट कर दिए गए. इसमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन के संगठन शामिल हैं.
रॉ और अन्य तकनीकी एजेंसियों ने 21 लक्ष्यों की सूची दी थी, जिनमें से सबसे संवेदनशील 9 को ऑपरेशन के लिए चुना गया था. इनमें से 4 पाकिस्तान में और 5 पीओके में थे. सेना ने स्पष्ट किया कि इस अभियान का उद्देश्य पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को खत्म करना नहीं, बल्कि आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना तथा विश्व समुदाय को यह संदेश देना है कि भारत अब आतंकवाद के जवाब में सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि कार्रवाई भी कर रहा है.
ऑपरेशन के बाद कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि इन सभी ठिकानों के पीछे भारतीय पर्यटकों पर हमले के सबूत मिले हैं. उन्होंने यह भी कहा कि टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का एक कवर समूह है और इस हमले में इसका इस्तेमाल किया गया. उन्होंने यह भी बताया कि लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य प्रशिक्षण केंद्र पीओके में मुजफ्फराबाद के पास सवाई नाला इलाके में स्थित एक स्थान पर चल रहा है.
उन्होंने कहा कि सोनमर्ग, गुलमर्ग और पहलगाम पर हमला करने वाले आतंकवादियों को इसी शिविर में प्रशिक्षण मिला था. सैयद के बिलाल शिविर ने उन्हें हथियारों के इस्तेमाल और जंगल में जीवित रहने का तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया. 2023 में पुंछ में तीर्थयात्रियों पर हमला करने वाले आतंकियों ने कोटली के गुरपुर इलाके में लश्कर के एक अन्य कैंप में तैयारी की थी. भीमबेर स्थित बरनाला शिविर का प्रयोग हथियार चलाना सिखाने के लिए किया जाता था, जबकि कोटली से 13 किमी दूर स्थित अब्बास शिविर आत्मघाती हमलों के लिए आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने का केंद्र था. अंत में उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय पक्ष को कोई नुकसान नहीं हुआ.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि यह कार्रवाई महज जवाबी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए आवश्यक थी. पाकिस्तान में रह रहे आतंकवादी आगे भी हमलों की योजना बना रहे थे, जिन्हें रोकना जरूरी था. ऑपरेशन सिंदूर न केवल एक तात्कालिक प्रतिक्रिया है, बल्कि एक ऐतिहासिक कदम है जो भारत की दीर्घकालिक आतंकवाद विरोधी नीति को प्रदर्शित करता है, जो 2019 के बाद से पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी सैन्य प्रतिक्रिया साबित हुई है.
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