इस समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले पत्रकारों और संपादकों को सम्मानित किया गया.
बाबासाहेब और पत्रकारिता की विरासत: डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर केवल संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि एक सशक्त पत्रकार भी थे. उन्होंने वंचितों की आवाज़ बुलंद करने के लिए मूकनायक, बहिष्कृत भारत, जनता और प्रबुद्ध भारत जैसी पत्रिकाएँ शुरू कीं.
इस वर्ष मूकनायक पत्रिका अपने 105वें वर्ष में प्रवेश कर रही है, और इसी ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करने के लिए इस समारोह का आयोजन किया गया.
सम्मानित पत्रकार और उनकी उपलब्धियाँ: इस अवसर पर उन पत्रकारों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने निडरता से समाज की समस्याओं को उजागर किया और पत्रकारिता के उच्च मानकों को कायम रखा:
मूकनायक राज्य स्तरीय पुरस्कार: ज्ञानेश महाराज, वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और नाटककार
मूकनायक आजीवन उपलब्धि पुरस्कार: यशपाल वराठे, वरिष्ठ पत्रकार
सामाजिक उत्तरदायित्व पुरस्कार: नरेंद्र जावरे, रिपोर्टर
छत्रपति शाहू महाराज पुरस्कार: प्रवीण कपिले, हितवाद जिला प्रतिनिधि
सामाजिक न्याय पुरस्कार – समाज में न्याय और समानता के लिए कार्य करने वाले
कार्यक्रम की अध्यक्षता दिलीप एकतकर (संपादक, दै. विदर्भ मतदार) ने की. ज्ञानेश महाराव (वरिष्ठ साहित्यकार और विचारक) ने "आज की पत्रकारिता के सामने चुनौतियाँ" विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आज पत्रकारिता को सच बोलने की भारी कीमत चुकानी पड़ती है, लेकिन पत्रकारों का कर्तव्य है कि वे सत्य का दामन न छोड़ें.
इस सम्मान समारोह का मुख्य उद्देश्य उन पत्रकारों को प्रोत्साहित करना था, जो निडरता से समाज की सच्चाई जनता तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं.
मूकनायक पत्रिका ने अपने समय में दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी और आज भी सशक्त पत्रकारिता की इस विरासत को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.
इस अवसर पर वक्ताओं ने पत्रकारिता के मूल्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ होती है.
पत्रकारों का मुख्य कर्तव्य सत्ता के समक्ष सत्य को रखना और जनहित के मुद्दों को उजागर करना है.
समारोह के समापन पर सभी सम्मानित पत्रकारों को बधाई दी गई और उनके योगदान की सराहना की गई.
इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि निष्पक्ष और जिम्मेदार पत्रकारिता को प्रोत्साहन देना ही समाज के सही दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेगा.