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लोहड़ी: जानिए क्या है पूजन का सही समय, 13 जनवरी या 14 कब मनाई जाएगा त्योहार

Updated on: 13 January, 2024 09:10 AM IST | mumbai
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मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार को खास तौर पर पंजाब आदि हिस्सों में मनाया जाता है.

लोहड़ी उत्सव में महिलाएं पटियाला सूट पहनती हैं और `गिद्दा` करती हैं. फोटो सौजन्य: एएफपी

लोहड़ी उत्सव में महिलाएं पटियाला सूट पहनती हैं और `गिद्दा` करती हैं. फोटो सौजन्य: एएफपी

की हाइलाइट्स

  1. अग्नि देव और भगवान कृृष्ण की करते हैं पूजा
  2. इस दिन से शुरू होती है फसलों की कटाई
  3. समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और सुख की करते हैं कामना

मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार को खास तौर पर पंजाब आदि हिस्सों में मनाया जाता है. इस दिन पंजाबी लोहड़ी के लिए लकड़ी के ढेर में पारंपरिक तरीके से अग्नि प्रज्जलित करते हैं और उसके चक्कर लगाते हैं. साथ ही इसमें गेंहू की बालिंयां, लाही, मूंगफली, चिक्की आदि डालते हैं. इस बार लोहड़ी को लेकर कुछ चर्चाएं हो रही हैं. आइए आपको बताते हैं कि कैसे और कब मनाई जाएगी साल 2024 की लोहड़ी.

15 जनवरी को है मकर संक्रांति


5 जनवरी को सुबह 2 बजकर 43 को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में जाएंगे इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति मनाया जाएगा.


13 जनवरी को होगी लोहड़ी

पंचांग के अनुसार, इस साल 13 जनवरी 2024 को लोहड़ी है. इस दिन प्रदोष काल लोहड़ी का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और रात को 8 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगा.


क्या है त्योहार के पीछे की मान्याता

लोहड़ी पर लोग अपने घर में समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और सुख आने की कामना करते हैं. लोहड़ी के दिन ही अमूमन तौर पर किसान अपने फसल की कटाई शुरू करते हैं, इसके बाद गेंहू की बालियां समर्पित की जाती हैं. साथ ही इस दिन महिलाएं लोकगीत गाती हैं धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अग्निदेव की पूजा करने से धन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. एक और वैज्ञानिक कारण माने तो पंजाब में यह त्योहार नई ऋतु के आने और इस दौरान ऊर्जा के साथ रहने के प्रतीक के तौर पर पंजाब में मनाया जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था, जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मौत के घाट उतारा था, इसलिए उसी घटना के फलस्वरूप लोहड़ी पर्व मनाया जाता है.

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