Updated on: 01 January, 2025 03:52 PM IST | mumbai
पौष पुत्रदा एकादशी इस वर्ष 10 जनवरी को विशेष योगों के साथ मनाई जाएगी. सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग इस दिन की महत्ता को और बढ़ा देते हैं.
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पौष पुत्रदा एकादशी, हिंदू धर्म में विशिष्ट महत्व रखने वाला व्रत है, जिसे पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है, जो संतान सुख, उनके स्वास्थ्य, और समृद्धि का वरदान देने वाले माने जाते हैं. यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस वर्ष यह एकादशी 9 जनवरी 2025 की रात्रि से प्रारंभ होगी और व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा.
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शुभ योग और महत्व
इस बार पौष पुत्रदा एकादशी पर दो विशिष्ट शुभ योग बन रहे हैं, जो इस व्रत को और भी फलदायी बनाते हैं:
>> सर्वार्थ सिद्धि योग
सर्वार्थ सिद्धि योग को अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. यह योग हर प्रकार के कार्य को सिद्धि प्रदान करने वाला होता है. इस योग में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का पालन करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. यह योग विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए लाभकारी है जो संतान प्राप्ति की कामना करते हैं. व्रत करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.
>> अमृत सिद्धि योग
अमृत सिद्धि योग अत्यंत पवित्र योग है, जो धार्मिक कार्यों के लिए सर्वोत्तम होता है. इस योग में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. अमृत सिद्धि योग में की गई आराधना संतान के भविष्य को उज्ज्वल और सुखद बनाने में सहायक होती है.
व्रत की विधि
10 जनवरी को व्रत रखने वाले भक्त सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु की पूजा के लिए पीले वस्त्र, तुलसी पत्र, पंचामृत, और फल अर्पित करें. अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है. दिनभर भगवान के भजन-कीर्तन और ध्यान में समय बिताएं. अगले दिन, 11 जनवरी को प्रातः 7:15 बजे पारण करें.
व्रत के लाभ
इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. यह न केवल संतान सुख प्रदान करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और परिवार में शांति लाता है. यह व्रत संतान की सफलता और उनके स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है.
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