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महाराष्ट्र में स्कूलों में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी का आदेश वापस होने के बाद राज ठाकरे ने सरकार को दी चेतावनी, `ऐसी नीतियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी`

Updated on: 30 June, 2025 10:49 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

महाराष्ट्र में स्कूलों में थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी का आदेश वापस होने के बाद, राज ठाकरे ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि मराठी भाषा की रक्षा के लिए यह जीत है.

X/Pics, Raj Thackeray

X/Pics, Raj Thackeray

महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर बड़ा फैसला लिया और दोनों जी.आर. (सरकारी आदेश) वापस ले लिए. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी. इस पर राज ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "कक्षा 1 से तीन भाषाएँ पढ़ाने के नाम पर हिंदी थोपने का फ़ैसला हमेशा के लिए वापस ले लिया गया है. सरकार ने दो जी.आर. रद्द कर दिए हैं. इसे देर से लिया गया विवेक नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह फैसला केवल और केवल मराठी लोगों की नाराज़गी के कारण लिया गया है."

 




राज ठाकरे ने आगे सोशल मीडिया पर सवाल उठाया कि, "सरकार हिंदी भाषा पर इतना ज़ोर क्यों दे रही थी और इस पर वास्तविक दबाव कहां था, यह आज भी रहस्य है." उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में तीन भाषाएँ थोपने की कोशिश नाकाम हो गई, और इसके लिए महाराष्ट्रवासियों को बधाई दी. "महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने अप्रैल 2025 से इस मुद्दे पर आवाज़ उठाई थी और तब से यह मुद्दा गरमाने लगा था. उसके बाद राजनीतिक दलों और संगठनों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया. जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने एक गैर-पक्षपाती मार्च निकालने का फ़ैसला किया, तो यह इतना बड़ा हो सकता था कि संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की यादें ताजा हो जातीं."


राज ठाकरे ने एक और गंभीर चेतावनी दी, "सरकार ने एक नई समिति नियुक्त की है. मैं साफ कह रहा हूं कि समिति की रिपोर्ट आए या न आए, ऐसी चीज़ें दोबारा बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. सरकार को यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि यह फैसला हमेशा के लिए रद्द हो चुका है, और महाराष्ट्र की जनता ने इसे स्वीकार कर लिया है.

राज ठाकरे ने मराठी लोगों से एकजुटता की अपील करते हुए कहा, "अब हमें यह समझना चाहिए कि हमारे ही लोग हमारे अस्तित्व और हमारी भाषा को नष्ट करने के लिए बैठे हैं. इस बार मराठी मन का सामूहिक गुस्सा सामने आया है, जिसे बार-बार देखना होगा."

आखिरी में उन्होंने कहा, "हमें खुशी है कि मराठी लोग अपनी भाषा के लिए एकजुट हुए. उम्मीद है कि यह एकता और मजबूती से बढ़ेगी और मराठी भाषा ज्ञान और वैश्विक मामलों की प्रमुख भाषा बनेगी."

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