Updated on: 26 August, 2024 12:36 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
नीला रंग यहाँ भगवान कृष्ण के इस दिव्य और अनंत स्वरूप को प्रकट करता है.
भगवान कृष्ण को नीले रंग में दर्शाना उनकी दिव्यता, अनंतता, और प्रेम की गहन भावना का प्रतीक है.
Janmashtami 2024: भगवान कृष्ण को नीले रंग में दर्शाने के पीछे गहरा प्रतीकात्मक अर्थ और धार्मिक मान्यताएँ हैं. नीला रंग भारतीय संस्कृति में गहराई, अनंतता, और ईश्वरत्व का प्रतीक माना जाता है. यह रंग आकाश और समुद्र का भी है, जो अनंत और विशाल हैं, और इसी कारण यह अनंत और असीमित प्रकृति को दर्शाता है.
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भगवान कृष्ण को नीले रंग में दर्शाने का पहला कारण यह है कि उनका व्यक्तित्व अत्यंत विशाल और असीमित है. उनके जीवन और शिक्षाओं ने संपूर्ण संसार को प्रभावित किया है, और वे संपूर्ण ब्रह्मांड की एकता और अनंतता का प्रतीक माने जाते हैं. नीला रंग यहाँ भगवान कृष्ण के इस दिव्य और अनंत स्वरूप को प्रकट करता है.
दूसरा कारण यह है कि नीला रंग भगवान विष्णु का भी प्रतीक है, जो सृष्टि के पालनकर्ता माने जाते हैं. कृष्ण, भगवान विष्णु के अवतार हैं, और इसलिए उन्हें नीले रंग में चित्रित किया जाता है ताकि उनके विष्णु से संबंध को दर्शाया जा सके. नीला रंग कृष्ण के उस ईश्वरीय स्वरूप को भी इंगित करता है, जिसमें वे सृष्टि की रक्षा और पालन के लिए प्रकट होते हैं.
इसके अलावा, भारतीय पौराणिक कथाओं में नीला रंग शांति, शीतलता, और करुणा का भी प्रतीक है. भगवान कृष्ण का जीवन करुणा, प्रेम, और शांति का प्रतीक है, और इसलिए उन्हें नीले रंग में चित्रित करना उनके इन गुणों को भी उजागर करता है. यह रंग उनके समर्पण और भक्तों के प्रति उनकी करुणा को भी प्रकट करता है.
इस प्रकार, भगवान कृष्ण को नीले रंग में दर्शाना उनकी दिव्यता, अनंतता, और प्रेम की गहन भावना का प्रतीक है. यह रंग उनके व्यक्तित्व के उन सभी आयामों को दर्शाता है, जो उन्हें एक सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और करुणामयी ईश्वर के रूप में स्थापित करते हैं.
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