Updated on: 21 April, 2024 03:58 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
महावीर ने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में शांति और समृद्धि के मार्ग की दिशा में महत्त्वपूर्ण संदेश दिए.
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Mahavir Jayanti 2024: वर्धमान महावीर की जन्म जयंती को महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है. वह एक समाजसेवी, ध्यानी और शिक्षक थे, जिन्होंने अपने जीवन को त्यागकर धर्म और नैतिकता के मार्ग पर जीने का संदेश दिया. उनकी की जयंती को मनाकर हम उनके उत्कृष्ट व्यक्तित्व को स्मरण करते हैं और उनके शिक्षाओं को मानते हैं. महावीर का जन्म लगभग 2500 वर्ष पूर्व भारत में हुआ था. उनके पिता का नाम सिद्धार्थ था, जो इक्ष्वाकु वंश के राजा थे, और माता का नाम त्रिशला था. उनका जन्म कर्मचारी वैश्य जाति में हुआ था. महावीर का बचपन और युवावस्था आम लोगों की तरह ही बीता, लेकिन उनमें ध्यान और आत्मसंयम की भावना सदैव थी. उनके जीवन में एक समय ऐसा आया जब उन्हें संसारिक संबंधों के प्रति विराग महसूस हुआ. उन्होंने घर छोड़ दिया और संयम और तप का जीवन अपनाया.
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महावीर ने अपने जीवन में खाने का आत्मत्याग किया और उन्होंने ध्यान और आत्मविकास का मार्ग दिखाया. उनके उपदेशों में अहिंसा का महत्त्व अत्यंत उच्च है. वे यह सिखाते हैं कि हमें सभी प्राणियों के प्रति दया और सहानुभूति रखनी चाहिए. अनेकता के सिद्धांत के अनुसार, सभी धर्म समान हैं और सभी मनुष्यों का एक ही धर्म है - अहिंसा और सत्य का पालन करना.
महावीर ने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में शांति और समृद्धि के मार्ग की दिशा में महत्त्वपूर्ण संदेश दिए. उन्होंने ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और साधुता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. महावीर की जयंती को मनाने से हम उनके शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं. उनके जीवन और उपदेशों की अध्ययन और अनुसरण से हम समाज में शांति, सहिष्णुता, और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. इस प्रकार, महावीर जयंती हमें ध्यान, साधना, और सद्भावना की महत्ता को समझाती है, जो एक उत्तम समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण है. उनके संदेश आज भी हमें समृद्ध, सद्भावपूर्ण, और एकत्रित समाज की दिशा में प्रेरित करते हैं.
महावीर की जयंती का त्योहार हर साल विशेष उत्साह और उत्सव के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग उनके उपदेशों को याद करते हैं और उनके जीवन के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं. इस दिन के माध्यम से हम उनके उपदेशों को स्मरण करते हैं और एक बेहतर और समृद्ध समाज की दिशा में प्रयास करते हैं.
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