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मालवानी पुलिस ने पकड़ा साइबर ठग गिरोह, फर्जी दस्तावेजों से खोलते थे बैंक खाते

Updated on: 24 April, 2025 11:59 AM IST | Mumbai
Samiullah Khan | samiullah.khan@mid-day.com

मुंबई की मालवानी पुलिस ने फर्जी कंपनियां बनाकर साइबर ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है.

बुधवार को पुलिस हिरासत में आरोपी

बुधवार को पुलिस हिरासत में आरोपी

मुंबई में मालवानी पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो साइबर ठगी के एक जटिल अभियान में शामिल था और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो ऑनलाइन ठगी के जरिए प्राप्त धन को इधर-उधर करने के लिए फर्जी कंपनियों और बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहे थे, अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आरोपी नौकरी चाहने वालों को रोजगार के अवसर दिलाने का वादा करके उन्हें लुभाते थे और नौकरी की औपचारिकताएं पूरी करने के बहाने उनके दस्तावेज एकत्र कर लेते थे. इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर वे फर्जी निजी कंपनियां पंजीकृत करते थे और विभिन्न बैंकों में चालू खाते खोलते थे.


पुलिस ने बताया कि इन खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी के जरिए अर्जित धन को जमा करने और स्थानांतरित करने के लिए किया जाता था.


साइबर ठगी का मामला तब प्रकाश में आया जब 20 वर्षीय शिकायतकर्ता को फर्जी कंपनियों में से एक से जुड़े पते पर जीएसटी नोटिस मिला. एक अधिकारी ने बताया कि बैंक खाते से महज चार महीने के भीतर करीब 3.42 करोड़ रुपये का लेनदेन दर्ज किया गया.

मालवानी साइबर यूनिट के जांच अधिकारी पुलिस सब इंस्पेक्टर डी. कुरकुटे ने बताया, "शिकायतकर्ता 20 वर्षीय महिला है और मालवानी की रहने वाली है. वह नौकरी की तलाश में थी, तभी वह `सिग्नल` के जरिए आरोपी अभिषेक पांडे और आकाश विश्वकर्मा के संपर्क में आई. दोनों ने उसे नौकरी दिलाने का वादा किया और भर्ती की औपचारिकताएं पूरी करने के नाम पर उसके निजी दस्तावेज ले लिए." आरोपियों ने शिकायतकर्ता के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर एक फर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और उसके नाम से अलग-अलग बैंकों में कई चालू खाते खोले. ऐसे ही एक खाते में पिछले चार महीनों में करीब 3.42 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ. धोखाधड़ी का पता तब चला जब शिकायतकर्ता को जीएसटी नोटिस मिला, जिसमें उसे अपनी पहचान के दुरुपयोग के बारे में बताया गया. मालवानी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया, "शिकायतकर्ता द्वारा साझा की गई जानकारी और मोबाइल नंबरों के आधार पर पुलिस ने मंगलवार को गोरेगांव इलाके से दोनों आरोपियों का पता लगाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया."


पूछताछ के दौरान पता चला कि आरोपियों ने दर्जनों नौकरी चाहने वालों को इसी तरह ठगा है- उनके दस्तावेज जुटाए, फर्जी कंपनियां बनाईं और बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी वाले लेनदेन करने के लिए बैंक खाते संचालित किए. आरोपी गिरोह के धोखाधड़ी से प्राप्त धन को नेटवर्क से जुड़े अन्य व्यक्तियों को हस्तांतरित करते थे. गिरफ्तार संदिग्धों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, पुलिस अब साइबर धोखाधड़ी रैकेट से जुड़े अन्य सदस्यों की सक्रिय रूप से तलाश कर रही है. अधिकारी ने कहा, "गिरफ्तार किए गए लोगों में अभिषेक पांडे बोरीवली का निवासी है, जबकि आकाश विश्वकर्मा कांदिवली का रहने वाला है. वे एक बड़े साइबर धोखाधड़ी गिरोह के संपर्क में थे और फर्जी पार्टी खातों के माध्यम से किए गए प्रत्येक लेनदेन पर 5,000 रुपये का कमीशन प्राप्त करते थे."

डीसीपी आनंद भोइते (जोन 11) के मार्गदर्शन में, पीएसआई अमर शिंदे, पीएसआई डी. कुरकुटे और साइबर कर्मचारियों सहित साइबर टीम ने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया. मालवानी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक शैलेंद्र नागरकर ने कहा, "हमने आरोपियों से 204 सिम कार्ड, विभिन्न बैंकों की 115 बैंक पासबुक, 271 डेबिट और क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप, प्रिंटर और मोबाइल फोन सहित कई सबूत जब्त किए हैं." इस रैकेट में शामिल अन्य पीड़ितों और सहयोगियों की पहचान करने के लिए आगे की जांच चल रही है. उन्होंने कहा, "हम नौकरी चाहने वालों से सतर्क रहने और उचित सत्यापन के बिना व्यक्तिगत दस्तावेज साझा करने से बचने का आग्रह करते हैं."

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