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माटुंगा में विकास के नाम पर काटे जाएंगे 500 हरे भरे पेड़: संजय रमेश भालेवराव

Updated on: 15 April, 2024 03:51 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

मुंबई: विकास के नाम पर हरे भरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाया जाता है. माटुंगा पूर्व कमला रामन नगर और माटुंगा रोड कालोनी में पुनर्विकास परियोजना के तहत 500 से अधिक वृक्षों को काटने की योजना बनाई जा रही है.

फाइल फोटो/शादाब खान

फाइल फोटो/शादाब खान

मुंबई: विकास के नाम पर हरे भरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाया जाता है. माटुंगा पूर्व कमला रामन नगर और माटुंगा रोड कालोनी में पुनर्विकास परियोजना के तहत 500 से अधिक वृक्षों को काटने की योजना बनाई जा रही है. स्थानीय नागरिकों और समाज सेवकों ने रेल प्रशासन को पत्र लिखकर इसका विरोध शुरू किया है.

पेड़ काटने की ऐसी है रूपरेखा


255 रेलवे कर्मचारियों के परिवारों और छह से सात एकड़ में 500 से अधिक वृक्षों को काटने की योजना बनाई जा रही है. धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपीपीएल) के लिए रास्ते बनाने और पुनर्विकास के लिए काटना होगा. ये सभी पेड़ हरे भरे हैं, इनकी समन्वय कर रहे रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अनिल कुमार खंडेलवाल ने एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई.


500 पेड़ों के बारे में चर्चा की. रेलवे प्रशासन ने एक पत्र जारी कर धारावी पुनर्विकास परियोजना स्लम पुनर्वास प्राधिकरण और आर एल डी ए के समझौते के अनुसार दादर, माहिम और माटुंगा में भूमि को चिन्हित कर पुनर्विकास के लिए रास्ते साफ हुए हैं.

पेड़ काटे जाने के लिए फैसले का विरोध


पुनर्विकास के लिए 500 हरे भरे पेड़ों को काटे जाने का रेलवे यूनियन ने विरोध किया है. सेंट्रेल रेलवे मजदूर संघ के यूनियन के नेता प्रवीण बाजपेयी ने पूछे जाने पर कहा कि यूनियन पेड़ों की कटाई का विरोध करेगी और आधुनिक पद्धति से इस पर रोक लगाए जाने की मांग की है. सरकार को पहले पेड़ों को सुरक्षित जगह शिफ्ट करना चाहिए, इससे पुनर्विकसा भी हो और पेड़ भी बचे रहें.

अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार धारावी बचाओ आंदोलन के समन्वयक संजय रमेश भालेवराव ने कहा, सरकार ने धारावी को अदानी के हाथो बेच दिया है. 500 पेड़ों को पुनर्विकास के नाम पर काटा जाना बड़ी बात है. हरियाली नष्ट होने से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ रहा है. हम इसका विरोध कर रहे हैं. जल्द ही रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर कोई रास्ता निकालने की मांग करेंगे और अदालत से न्याय की अपील भी करते हैं.

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