Updated on: 04 July, 2025 08:22 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को पुणे में अपने भाषण का समापन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में `जय गुजरात` कहकर किया.
पेशवा बाजीराव की प्रतिमा के अनावरण के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सम्मानित किया गया. (फोटो: मिड-डे)
गृह मंत्री अमित शाह पुणे आए हैं. वे यहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ एक कार्यक्रम में मौजूद थे. इस दौरान एकनाथ शिंदे अपने भाषण की वजह से चर्चा में आ गए हैं. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को पुणे में अपने भाषण का समापन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में `जय गुजरात` कहकर किया. शिंदे पुणे के कोंढवा में जयराज स्पोर्ट्स एंड कन्वेंशन सेंटर के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
अपने भाषण के समापन पर शिंदे ने दर्शकों से पूछा कि क्या वे शाह के सम्मान में कोई कविता सुना सकते हैं, जिस पर भीड़ ने उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया दी. जैसे-जैसे उनका भाषण आगे बढ़ा, शिंदे ने दर्शकों का शुक्रिया अदा किया और कहा, `जय हिंद, जय महाराष्ट्र`, फिर कुछ देर रुके और `जय गुजरात` कहकर अपना भाषण समाप्त किया. शिंदे की टिप्पणी ने राज्य में कई लोगों को चौंका दिया है.
अमित शाह ने पुणे में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में मराठा साम्राज्य के जनरल पेशवा बाजीराव की घुड़सवार प्रतिमा का अनावरण किया. समारोह में बोलते हुए शाह ने कहा कि एनडीए बाजीराव के स्मारक के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है, क्योंकि यह एक ऐसा संस्थान है, जहां सैन्य नेतृत्व का प्रशिक्षण दिया जाता है. शाह ने कहा, "जब भी मेरे मन में नकारात्मक विचार आते हैं, तो मैं आमतौर पर बाल शिवाजी और पेशवा बाजीराव के बारे में सोचता हूं, यह सोचकर कि वे विपरीत परिस्थितियों में स्वराज की स्थापना करने में सक्षम थे."
शाह ने कहा कि स्वराज की रक्षा करने की जिम्मेदारी अब 140 करोड़ भारतीयों की है. शाह ने कहा, "जब स्वराज्य की स्थापना के लिए लड़ने का समय था, तो हमने किया. जब स्वराज्य की रक्षा करने की आवश्यकता होगी, तो हमारी सेना और नेतृत्व निश्चित रूप से इसका प्रदर्शन करेंगे, और ऑपरेशन सिंदूर इसका सबसे अच्छा उदाहरण था." बाजीराव को श्रद्धांजलि देते हुए शाह ने कहा कि अगर स्वतंत्रता संग्राम शिवाजी महाराज ने शुरू किया होता और पेशवाओं ने 100 साल तक नहीं लड़ा होता, तो भारत का मूल ढांचा अस्तित्व में नहीं होता.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT