Updated on: 11 December, 2024 01:48 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
महाराष्ट्र बाल अधिकार आयोग ने लगभग सभी मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पुलिस की सराहना की, जो अब अदालत में लंबित हैं.
प्रतीकात्मक छवि
महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हाल ही में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम और बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम से संबंधित 35 मामलों की सुनवाई की, जिसमें POCSO अधिनियम के तहत प्राप्त शिकायतों पर विचार किया गया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र बाल अधिकार आयोग ने लगभग सभी मामलों में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पुलिस की सराहना की, जो अब अदालत में लंबित हैं.
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रिपोर्ट के मुताबिक आयोग कानूनी प्रक्रिया में तेजी लाने और उल्लंघनों को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी योजना बना रहा है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम और बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम (2009) से संबंधित 35 मामलों की सुनवाई की, जो POCSO अधिनियम के तहत प्राप्त शिकायतों से संबंधित थे".
बयान में आगे कहा गया है कि ये मामले मुख्य रूप से POCSO अधिनियम के तहत शिकायतों से संबंधित थे. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, बाल कल्याण समिति के सदस्य, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, तथा मुंबई शहर और उपनगरीय क्षेत्र के जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुनवाई में शामिल हुए. रिपोर्ट के मुताबिक इसके अतिरिक्त, शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारी और स्कूलों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे.
विशेष रूप से, पुलिस ने सुनवाई से पहले लगभग सभी मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिए हैं. महाराष्ट्र बाल अधिकार आयोग ने इसके लिए पुलिस की सराहना की, और मामले वर्तमान में अदालत में लंबित हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बयान के अनुसार, आयोग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, उल्लंघनों को रोकने और समय बचाने के लिए दिशा-निर्देश और सिफारिशें जारी करने के लिए तैयार है.
इसके अतिरिक्त, बयान में उल्लेख किया गया है कि सुनवाई महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष अधिवक्ता सुशी बेन शाह और महाराष्ट्र बाल अधिकार आयोग के सदस्यों की उपस्थिति में हुई, जिसमें अधिवक्ता संजय सेंगर, अधिवक्ता नीलिमा चौहान, सायली पालखेडकर और अधिवक्ता प्रदन्या खोसरे शामिल थे.
सुनवाई के दौरान चर्चा किए गए अधिकांश मामले POCSO अधिनियम के तहत शिकायतों से संबंधित थे. यह पता चला कि कई शिकायतकर्ताओं ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से झूठी शिकायतें दर्ज की थीं. सुनवाई के दौरान मुंबई में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विभाग का प्रतिनिधित्व करने वाली विशेष पुलिस निरीक्षक और पुलिस उपाधीक्षक सारा अभ्यंकर भी उपस्थित थीं.
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