Updated on: 22 December, 2024 06:08 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
इतना ही नहीं, सरकार में उनके काम करने का अंदाज, उनकी योजनाएं भी चर्चा में रहीं.
एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)
ये वही एकनाथ शिंदे हैं जिन्होंने अपने दम पर 2022 में महाराष्ट्र की राजनीति का चेहरा बदल दिया. पहले उद्धव ने सेना को हराया और फिर बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. इतना ही नहीं, सरकार में उनके काम करने का अंदाज, उनकी योजनाएं भी चर्चा में रहीं. उम्मीद थी कि शिंदे अब सीएम नहीं रहेंगे. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि शिंदे को उम्मीद से कहीं कम पर संतोष करना पड़ा है. तो आइए यहां समझते हैं कि नई सरकार में शिंदे का कद कैसे कम हो गया है.
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एकनाथ शिंदे का प्रभाव कैसे सीमित हो गया
दरअसल, महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस के पास गृह विभाग समेत कई अहम विभाग अपने पास रहे, जबकि एकनाथ शिंदे को शहरी विकास और लोक निर्माण जैसे विभागों से ही संतोष करना पड़ा. शनिवार को जब फड़नवीस सरकार ने अपने मंत्रिमंडल को विभागों का आवंटन किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि एकनाथ शिंदे का प्रभाव सीमित था.
महाराष्ट्र की राजनीति का पासा पलट गया
ये वही एकनाथ शिंदे हैं जिन्होंने 2022 में अकेले दम पर महाराष्ट्र की राजनीति की किस्मत बदल दी. पहले उद्धव ने सेना को हराया और फिर बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने. इतना ही नहीं, सरकार में रहते हुए भी उनकी कार्यशैली काफी चर्चा में रही थी. उनकी योजनाओं पर भी चर्चा हुई. अब इस चुनाव के बाद जब उन्होंने गृह विभाग को लेकर मांग की तो वह पूरी नहीं हुई. फड़णवीस ने यह विभाग अपने पास रखा.
उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत..किसे फायदा?
2022 में उद्धव ठाकरे से बगावत कर शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार बनाई. लेकिन इस बार की चुनावी परिस्थितियों ने शिंदे के राजनीतिक कद को सीमित कर दिया. बीजेपी का मुख्यमंत्री बनना तय था क्योंकि उसने 132 सीटें जीतकर और बहुमत के करीब पहुंचकर अपनी धमक दिखा दी थी. शिंदे की शिवसेना ने 57 सीटें और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं, लेकिन शिंदे की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया.
गृह विभाग फडनवीस के पास
फिलहाल शिंदे डिप्टी सीएम हैं. पिछले कार्यकाल में फॉर्मूला ये था कि सीएम शिंदे हों और गृह विभाग फड़णवीस के पास हो. शिंदे इस बार भी ऐसे ही फॉर्मूले की उम्मीद कर रहे थे लेकिन इस बार बीजेपी ने विभाजन अपने पास रखा है. इसे लेकर दिल्ली और मुंबई में कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन नतीजा शिंदे के पक्ष में नहीं रहा. गृह विभाग के साथ-साथ, फड़नवीस के पास ऊर्जा, कानून और न्यायपालिका, सामान्य प्रशासन और सूचना और प्रचार विभाग भी हैं.
शिंदे को शहरी विकास, आवास और लोक निर्माण विभाग दिए गए, जबकि अजीत पवार को वित्त और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग दिए गए. विशेषज्ञों का स्पष्ट मानना है कि शिंदे का कद कम हो गया है क्योंकि भाजपा और राकांपा गठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े को आसानी से पार करने के लिए पर्याप्त सीटें हैं. अजित पवार पहले भी इस गठबंधन का हिस्सा थे. अकेले बीजेपी भी है.
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