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सात समंदर पार आदिवासी युवक की सफलता, माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में वरिष्ठ वैज्ञानिक पद पर मिली नौकरी

Updated on: 18 April, 2024 01:00 PM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

महेश सुरेश गोरट के पिता ने कहा, `हमारी बेहद खराब स्थिति के कारण, हमें अपने बेटे की उच्च शिक्षा के लिए लगातार पैसे की आवश्यकता होती थी.`

महेश सुरेश गोरट अपने परिवार के साथ

महेश सुरेश गोरट अपने परिवार के साथ

Dahanu News: पालघर जिले के दहानु तालुका के बांधघर मेघापाडा निवासी आदिवासी युवा महेश सुरेश गोरट को दुनिया के सबसे अमीर वर्ग में से एक और महान व्यक्तित्व वाले बिल गेट्स ने अमेरिका की माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त किया है. दूरदराज के इलाकों और आदिवासी पाड़ा में रहने वाले इस युवा ने कम उम्र में  आसमान छूती उपलब्धि हासिल की है, उससे पालघर जिले और अन्य जिलों में महेश को बधाइयां मिल रही हैं. कुछ दिन पहले देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित कर सम्मानित किया था. उनकी सफलता की प्रसिद्धि देखकर अब सभी घरों में तारीफों की बौछार होने लगी है.

महेश के परिवार और प्राथमिक शिक्षा के बारे में संक्षिप्त जानकारी 


महेश सुरेश गोरट ने बेहद विपरीत परिस्थितियों में सफलता हासिल की है और समाज के लिए एक रोल मॉडल तैयार किया है. उनके परिवार में माता, पिता, दो बड़ी बहनें, दो भाई और साथ ही पंजोबा, दादा हैं. उनकी प्राथमिक शिक्षा जिला परिषद स्कूल, बांधघर पाटिलपाड़ा में हुई, उनकी माध्यमिक शिक्षा पूज्य आचार्य भिसे हाई स्कूल, कासा में हुई. माध्यमिक शिक्षा एमके जूनियर कॉलेज, चिनचानी में हुई और उसी कॉलेज में उन्होंने बी. एस. सीआईटी शिक्षा में डिप्लोमा प्राप्त किया. शिक्षा के प्रति उनकी लगन और गणित के प्रति रुचि को देखकर कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें आईटी के क्षेत्र में आगे की शिक्षा प्राप्त करने में मदद की. प्रेरणादायक बात यह है कि उनके पिता उनकी प्राप्त शिक्षा को पूरा करने के लिए अपनी किडनी बेचने तक को तैयार थे चूंकि घर की स्थिति बहुत ख़राब थी, इसलिए महेश छुट्टियों पर घर आकर घर पर ही रहकर पढ़ाई करते थे. माता-पिता छोटी-मोटी खेती करते थे और कभी-कभी काम करने के लिए गांव से बाहर जाते थे और बच्चों की शिक्षा के लिए पैसे जुटाते थे. अपने बेटे की इतनी बड़ी सफलता देखकर उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए.


महेश ने सफलता के शिखर पर पहुंचकर अपने समाज का मान बढ़ाया है, उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा पुणे के फर्गन्स कॉलेज से पूरी की. वहां भी उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में टॉप टेन में रहने का गौरव प्राप्त हुआ. कॉलेज में, महेश ने मैसेजिंग एप्लिकेशन पर प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसके बाद कॉलेज में कैंपस इंटरव्यू आयोजित करने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में उनका चयन हो गया. महेश ने दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के साथ ऐसा करके दिखाया है किसी भी परिस्थिति पर काबू पाकर सफलता हासिल की जा सकती है  पालघर जिला आदिवासी शिक्षक संघ ने उनकी सफलता की सराहना की और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं. इस अवसर पर यशवन्त गावित, दिनेश चौधरी, सुरेश गावित एवं अन्य शिक्षक उपस्थित थे.


महेश सुरेश गोरट ने अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए कहा, `इस उपलब्धि के लिए मुझे हर जगह बधाई दी जा रही है। मैं इसके लिए बहुत आभारी हूं, लेकिन जिस तरह मैंने एक गरीब और गांव के जिला परिषद स्कूल से प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक यह सफलता हासिल की है, इसलिए मेरे जैसे कई आदिवासी गरीब छात्रों को भी सफलता हासिल करनी चाहिए. इसके लिए हमें औद्योगिक एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए बिना यह सोचे कि शिक्षा प्राप्त करने से ही हमें सरकारी नौकरी मिलेगी.

महेश सुरेश गोरट के पिता ने कहा, `हमारी बेहद खराब स्थिति के कारण, हमें अपने बेटे की उच्च शिक्षा के लिए लगातार पैसे की आवश्यकता होती थी. मैंने किसी और से सुना था कि यदि आप अपनी एक किडनी बेच देंगे, तो आपको बहुत सारे पैसे मिलेंगे और एक व्यक्ति एक किडनी पर जीवन यापन कर सकता है. मैंने इसे बेचने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आज यह देखकर मेरी आंखों में खुशी के आंसू हैं कि मेरे बेटे ने कठिन सफर के बाद सफलता हासिल की है.`

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