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रतन टाटा को भारतरत्न देने की केंद्र से अपील, राज्य मंत्रिमंडल ने दी श्रद्धांजलि

Updated on: 10 October, 2024 12:32 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

राज्य मंत्रिमंडल ने वरिष्ठ उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए केंद्र सरकार से उन्हें भारतरत्न देने की मांग की है.

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की हाइलाइट्स

  1. राज्य मंत्रिमंडल ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए भारतरत्न देने की अपील की
  2. शोक प्रस्ताव में रतन टाटा के उद्योग और समाज सेवा में योगदान की सराहना की गई
  3. कोविड राहत और 26/11 हमले के दौरान रतन टाटा की भूमिका को विशेष रूप से याद किया गया

प्रसिद्ध उद्योगपति पद्मविभूषण रतन टाटा को आज राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में श्रद्धांजलि अर्पित की गई. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बैठक में इस शोक प्रस्ताव को पेश किया. इसी दौरान रतन टाटा के कार्यों को ध्यान में रखते हुए उन्हें भारतरत्न देने की केंद्र सरकार से अपील करने वाला प्रस्ताव भी मंजूर किया गया. इस शोक प्रस्ताव में कहा गया है कि उद्यमशीलता भी समाज निर्माण का एक प्रभावी माध्यम है. नए-नए उद्योगों की स्थापना से ही देश को प्रगति के पथ पर ले जाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए दिल में असीम देशप्रेम और समाज के प्रति सच्ची संवेदना होनी चाहिए. रतन टाटा के रूप में हमने ऐसे ही विचारों वाले एक समाजसेवी, दूरदर्शी और देशभक्त मार्गदर्शक को खो दिया है. उन्होंने न सिर्फ भारत के उद्योग क्षेत्र में, बल्कि समाज निर्माण के कार्य में भी अभूतपूर्व योगदान दिया. वे महाराष्ट्र के सुपुत्र और भारत का गौरव थे. उन्होंने अनुशासन, स्वच्छ प्रबंधन और उच्च नैतिक मूल्यों के साथ उद्योगों का संचालन किया, जिससे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को स्थापित किया. उनके जाने से देश का एक प्रमुख स्तंभ ढह गया है.

रतन टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे. उन्होंने टाटा समूह के अध्यक्ष और बाद में अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कई वर्षों तक इस समूह का नेतृत्व किया. देश के सबसे पुराने टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख के रूप में उन्होंने अत्यंत परोपकारी दृष्टिकोण से कार्य किया. रतन टाटा ने नैतिक मूल्यों का जो संरक्षण किया, वह अन्य उद्यमियों और उद्योग जगत की भावी पीढ़ियों के लिए दीपस्तंभ के समान मार्गदर्शक रहेगा. वे एक सच्चे कर्मयोगी थे. स्वतंत्रता के बाद देश के पुनर्निर्माण में टाटा समूह का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था. इस समूह के माध्यम से रतन टाटा ने भारत का झंडा वैश्विक मंच पर गर्व से फहराया.


मोटर कार से लेकर नमक, कंप्यूटर से लेकर कॉफी-चाय तक अनेक उत्पादों से टाटा का नाम जुड़ा है. शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में भी रतन टाटा का योगदान अद्वितीय रहा है. मुंबई पर हुए 26/11 के हमले के बाद उन्होंने जो साहस दिखाया, वह हमेशा याद रखा जाएगा. कोविड-19 के समय में रतन टाटा ने पीएम रिलीफ फंड को 1500 करोड़ रुपये दान किए और मरीजों के लिए अपने कई होटलों को भी उपलब्ध कराया. यह उनकी महानता को दर्शाता है. उनमें नवाचार और परोपकार का अद्वितीय संगम था. उन्होंने कभी भी अपने `टाटा मूल्यों` से समझौता नहीं किया.


वे हमेशा युवाओं की प्रतिभा और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में अग्रणी रहे. गढ़चिरौली जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में युवाओं के कौशल को प्रोत्साहित करने और रोजगार के अवसर देने के लिए उन्होंने इनोवेशन सेंटर शुरू किया. महाराष्ट्र सरकार का पहला `उद्योग रत्न` पुरस्कार उन्हें प्रदान करने का गौरव राज्य को प्राप्त हुआ. उनके मार्गदर्शन से महाराष्ट्र को हमेशा लाभ हुआ. रतन टाटा के निधन से हमारे देश और महाराष्ट्र को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती.

टाटा समूह के विशाल परिवार के दुख में राज्य मंत्रिमंडल सहभागी है. उनकी आत्मा को शांति मिले, यही प्रार्थना है. इस महान सुपुत्र को महाराष्ट्र के समस्त नागरिकों की ओर से राज्य मंत्रिमंडल भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है.


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