ब्रेकिंग न्यूज़
होम > न्यूज़ > नेशनल न्यूज़ > आर्टिकल > सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी का निधन, दिल्ली के एम्स में चल रहा था इलाज

सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी का निधन, दिल्ली के एम्स में चल रहा था इलाज

Updated on: 12 September, 2024 04:30 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

पार्टी ने हाल ही में कहा था कि येचुरी की हालत गंभीर है और डॉक्टरों की एक बहु-विषयक टीम उनकी देखभाल कर रही है.

सीताराम येचुरी/फाइल फोटो

सीताराम येचुरी/फाइल फोटो

सीपीआई (एम) महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी का 12 सितंबर को निधन हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनका दिल्ली के एम्स में तीव्र श्वसन पथ के संक्रमण का इलाज चल रहा था. 72 वर्षीय येचुरी को 19 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में उन्हें गहन चिकित्सा इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया था. पार्टी ने हाल ही में कहा था कि येचुरी की हालत गंभीर है और डॉक्टरों की एक बहु-विषयक टीम उनकी देखभाल कर रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक दिग्गज राजनेता के परिवार में उनकी पत्नी सीमा चिश्ती और बेटी अखिला हैं. उनके बेटे आशीष येचुरी का 2021 में 34 वर्ष की आयु में COVID-19 से निधन हो गया. 12 अगस्त, 1952 को चेन्नई (तब मद्रास) में जन्मे येचुरी एक मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े. उनके पिता एक इंजीनियर के रूप में काम करते थे, और उनकी माँ एक गृहिणी थीं. उन्होंने कम उम्र में ही शैक्षणिक प्रतिभा का परिचय दिया और आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज में अध्ययन किया और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की. जेएनयू में वे छात्र राजनीति में गहराई से शामिल हो गए, जिसने सार्वजनिक जीवन में उनके भाग्य को आकार देने में मदद की.


जेएनयू में रहते हुए येचुरी सीपीआई(एम) की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हो गए. छात्र राजनीति में उनकी सक्रिय भागीदारी ने उन्हें प्रमुखता हासिल करने में मदद की, और वे जल्दी ही रैंक में ऊपर चढ़ गए. 1975 में, येचुरी जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. आपातकाल (1975-77) के दौरान उनके राजनीतिक जीवन ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सत्तावादी नियंत्रण स्थापित किया. उस समय सरकार का विरोध करने के कारण येचुरी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था.


अपनी रिहाई के बाद, येचुरी की मुख्यधारा की राजनीति में भागीदारी बढ़ी. वे आधिकारिक तौर पर 1975 में सीपीआई(एम) में शामिल हो गए और 1980 के दशक तक रैंक में ऊपर उठकर एक केंद्रीय व्यक्ति बन गए. वर्षों से, उन्होंने पार्टी की नीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई खासकर आर्थिक और सामाजिक मामलों पर. अपनी वाक्पटुता के लिए मशहूर येचुरी अक्सर भारतीय संसद में होने वाली बहसों और चर्चाओं में सीपीआई(एम) का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्हें बार-बार भारत के संसद के ऊपरी सदन, राज्य सभा के लिए चुना गया, जहाँ वे धर्मनिरपेक्षता, आर्थिक न्याय और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों जैसे मुद्दों पर अपने स्पष्ट भाषणों के लिए जाने जाते हैं.

येचुरी को 2015 में पार्टी के सर्वोच्च पद सीपीआई(एम) का महासचिव चुना गया था. उनके नेतृत्व में, सीपीआई(एम) ने श्रमिकों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और साम्यवाद के विरोध को प्राथमिकता दी. येचुरी को भारत में वामपंथी राजनीति में महत्वपूर्ण आवाज़ों में से एक माना जाता है, जो देश के लिए एक समावेशी, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी दृष्टिकोण की लगातार वकालत करते रहे हैं. हाल के वर्षों में सीपीआई(एम) की घटती चुनावी शक्ति के बावजूद, येचुरी भारतीय राजनीति में एक सम्मानित आवाज़ बने हुए हैं, जो सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए नीतियों की वकालत करते हैं.


अन्य आर्टिकल

फोटो गेलरी

रिलेटेड वीडियो

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK