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फडणवीस सरकार पर सुप्रिया सुले का निशाना, बीड-परभणी की घटनाओं पर कार्रवाई और गृह मंत्री की नियुक्ति की मांग

Updated on: 16 December, 2024 01:12 PM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए बीड और परभणी की हालिया घटनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी.

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की हाइलाइट्स

  1. सुप्रिया सुले ने हिंसा और न्यायिक हिरासत में मौत की घटनाओं पर पारदर्शी जांच की मांग की
  2. तीन हफ्ते बाद भी महाराष्ट्र में गृह मंत्री न होने पर सरकार की आलोचना
  3. मंत्रिमंडल विस्तार और खाता आवंटन में देरी को लेकर फड़णवीस सरकार से जवाबदेही की मांग

नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार की नीतियों और हालिया घटनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बीड और परभणी की हालिया घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि राज्य में तीन हफ्ते से गृह मंत्री का पद खाली है, जो कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर समस्या है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इतनी बड़ी जीत के बाद सरकार ने कामकाज शुरू कर दिया होगा, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

सुले ने परभणी रेलवे स्टेशन के पास डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के निकट संविधान की प्रतिकृति तोड़े जाने और इसके बाद हुई हिंसा की घटनाओं की निंदा की. इस सिलसिले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से एक युवक सोमनाथ सूर्यवंशी की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई. इस घटना पर पारदर्शी जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि जनता को सच जानने का अधिकार है.


बीड के केज तालुका में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या को लेकर भी उन्होंने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, जो पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इन गंभीर घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते.


सुले ने सरकार की सुस्त कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा कि तीन हफ्ते बीत जाने के बावजूद मंत्रिमंडल विस्तार और खातों के आवंटन जैसे महत्वपूर्ण फैसले अब तक नहीं लिए गए हैं. उन्होंने बीजेपी की “पार्टी विद डिफरेंस” की छवि पर सवाल उठाते हुए कहा कि सत्ता में आने के बाद भी प्रशासनिक कामकाज ठप पड़ा हुआ है, जो महाराष्ट्र के लिए चिंताजनक है.

सुप्रिया सुले ने कहा कि घटनाओं के दौरान राज्य सरकार का कोई भी प्रतिनिधि घटनास्थलों पर नहीं पहुंचा और न ही जनता से शांति की अपील की. उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री हों या न हों, जनता की सेवा करना राजनेताओं की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए.


 

छगन भुजबल के मंत्री न बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने इसे एनसीपी का आंतरिक मामला बताया, लेकिन शरद पवार के प्रति भुजबल की निष्ठा और पार्टी में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया. सुले ने आखिर में कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने सरकार को बहुमत देकर सेवा का अवसर दिया है, अब सरकार को काम शुरू कर देना चाहिए.

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