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सोलापुर के मारकडवाडी गांव में बैलेट पेपर चुनाव की मांग, अतुल लोंढे ने ग्रामीणों से की मुलाकात

Updated on: 07 December, 2024 10:35 AM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

सोलापुर जिले के मारकडवाडी गांव ने लोकतंत्र को बचाने के लिए अनूठा आंदोलन छेड़ा है। ईवीएम में धांधली के आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है.

ग्रामीणों से मुलाकात के बाद अतुल लोंढे ने कहा कि मारकडवाडी की यह जमीन केवल मिट्टी नहीं है, बल्कि भारत माता का प्रतीक है.

ग्रामीणों से मुलाकात के बाद अतुल लोंढे ने कहा कि मारकडवाडी की यह जमीन केवल मिट्टी नहीं है, बल्कि भारत माता का प्रतीक है.

सोलापुर जिले के मारकडवाडी गांव ने लोकतंत्र को बचाने के लिए एक नई मिसाल पेश की है. ईवीएम में धांधली के आरोपों के खिलाफ ग्रामीणों ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है. इस आंदोलन ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है.

इस दौरान कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल गांव का दौरा करने पहुंचा, जिसमें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे, पूर्व विधायक रामहरि रूपनवार, प्रो. यशवंत भिंगे, सूर्यवंशी और पवार जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे. इनके साथ ही एनसीपी के विधायक उत्तमराव जानकर भी ग्रामीणों के समर्थन में उपस्थित रहे.


ग्रामीणों से मुलाकात के बाद अतुल लोंढे ने कहा कि मारकडवाडी की यह जमीन केवल मिट्टी नहीं है, बल्कि भारत माता का प्रतीक है. यहां के ग्रामीणों ने लोकतंत्र और संविधान की रक्षा में अभूतपूर्व योगदान दिया है. उन्होंने इस आंदोलन की तुलना महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन से करते हुए कहा कि मारकडवाडी ने लोकतंत्र बचाने का सच्चा रास्ता दिखाया है.


अतुल लोंढे ने कहा कि यह आंदोलन केवल ईवीएम के खिलाफ नहीं, बल्कि वोट चुराने और लोकतांत्रिक प्रणाली को खत्म करने की साजिशों के खिलाफ भी है. उन्होंने यह भी वादा किया कि जब तक बैलेट पेपर पर मतदान सुनिश्चित नहीं होता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.


मारकडवाडी का यह संघर्ष केवल एक गांव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरे देश के लोकतंत्र को जगाने का प्रयास बन गया है. ग्रामीणों के साहस और दृढ़ संकल्प ने यह साबित किया है कि जनशक्ति हर अन्याय के खिलाफ खड़ी हो सकती है. लोंढे ने यह भी कहा कि यह आंदोलन अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है और जल्द ही बैलेट पेपर की मांग के समर्थन में पूरे देश से आवाजें उठेंगी.

मारकडवाडी ने संविधान और लोकतंत्र को रौंदने वाली अराजक राजनीति का डटकर विरोध करने का रास्ता दिखाया है. ग्रामीणों के इस आंदोलन ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, और यह आत्मा कभी अन्याय के सामने झुक नहीं सकती.

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