Updated on: 03 November, 2024 10:52 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उनकी यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में दो टकराव बिंदुओं, डेमचोक और देपसांग मैदानों पर हाल ही में पीछे हटने के बाद आई है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को ब्रिस्बेन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए. तस्वीर/X
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और चीन ने पीछे हटने की दिशा में "कुछ प्रगति" की है. उन्होंने इसे "स्वागत योग्य" कदम बताया, जिससे आगे के विकास की संभावनाएँ खुलती हैं. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उनकी यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में दो टकराव बिंदुओं, डेमचोक और देपसांग मैदानों पर हाल ही में पीछे हटने के बाद आई है. भारतीय सेना ने देपसांग में सत्यापन गश्त शुरू कर दी है, जबकि डेमचोक में गश्त शुक्रवार को शुरू हुई.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
रिपोर्ट के मुताबिक जयशंकर ने प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत के दौरान कहा, "भारत और चीन के संदर्भ में, हाँ, हमने कुछ प्रगति की है. आप जानते हैं, हमारे संबंध बहुत, बहुत अशांत थे, जिसके कारण आप सभी जानते हैं. हमने पीछे हटने की दिशा में कुछ प्रगति की है, जो तब होता है जब सैनिक एक-दूसरे के बहुत करीब होते हैं, जिससे कुछ अप्रिय घटना होने की संभावना होती है."
उन्होंने कहा, "वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे. और बदले में हमने जवाबी तैनाती की है. इस अवधि के दौरान रिश्ते के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं. इसलिए स्पष्ट रूप से, हमें पीछे हटने के बाद देखना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन हमें लगता है कि पीछे हटना एक स्वागत योग्य कदम है. इससे अन्य कदम उठाने की संभावना खुलती है." रिपोर्ट के अनुसार जयशंकर ने कहा कि पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद, उम्मीद थी कि "राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और मैं दोनों अपने समकक्ष से मिलेंगे. इसलिए चीजें यहीं हैं." 21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिल्ली में घोषणा की कि पिछले कई हफ़्तों से चल रही बातचीत के बाद भारत और चीन के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिया गया है, जिसका उद्देश्य 2020 में उठे मुद्दों को सुलझाना है.
यह समझौता पूर्वी लद्दाख में LAC पर गश्त और सैनिकों की वापसी पर केंद्रित था, जो चार साल से चल रहे गतिरोध को खत्म करने की दिशा में एक बड़ी सफलता थी. रिपोर्ट के मुताबिक जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध तेजी से बिगड़ गए थे, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था. दो देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण के लिए दिन में ब्रिस्बेन पहुंचे जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में "दो संघर्ष हैं, जो हर किसी के दिमाग में हैं."
उन्होंने कहा, "एक यूक्रेन है. और दूसरा मध्य पूर्व में जो हो रहा है. अलग-अलग तरीकों से, हम दोनों में कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं." यूक्रेन-रूस संघर्ष के बारे में जयशंकर ने बताया कि भारत कूटनीति को फिर से सबसे आगे लाने का प्रयास कर रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत रूप से दोनों देशों के नेताओं के साथ बैठकों में शामिल हैं. मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जुलाई में रूस और अगस्त में यूक्रेन का दौरा किया, जून और सितंबर में अलग-अलग यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की और पिछले महीने कज़ान में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक और बैठक की.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT