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भारत खरीदेगा फ्रांस से 63,000 करोड़ के 26 राफेल मरीन जेट, सौदे को दी मंजूरी

Updated on: 09 April, 2025 04:17 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

सरकारी सूत्रों ने बताया कि 63,000 करोड़ रुपये से अधिक का यह सौदा फ्रांस के साथ सरकार-से-सरकार समझौते के तहत किया जाएगा.

तस्वीर/एएफपी

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एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने भारत के अब तक के सबसे बड़े लड़ाकू विमान सौदे को मंजूरी दे दी, जिसमें भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी गई. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सूत्रों ने बताया कि 63,000 करोड़ रुपये से अधिक का यह सौदा फ्रांस के साथ सरकार-से-सरकार समझौते के तहत किया जाएगा.

रिपोर्ट के मुताबिक इस अनुबंध में 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर राफेल मरीन जेट शामिल होंगे. इसमें बेड़े के रखरखाव, रसद सहायता, कार्मिक प्रशिक्षण और ऑफसेट दायित्वों के तहत स्वदेशी विनिर्माण घटकों के लिए एक व्यापक पैकेज भी शामिल है. राफेल एम जेट की डिलीवरी सौदे पर हस्ताक्षर होने के लगभग पांच साल बाद शुरू होने की उम्मीद है. इन लड़ाकू विमानों को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा और यह नौसेना के मौजूदा मिग-29K बेड़े का पूरक होगा. 


भारतीय वायु सेना (IAF) पहले से ही अंबाला और हाशिमारा में ठिकानों पर 36 राफेल जेट संचालित करती है. रिपोर्ट के अनुसार नया राफेल मरीन सौदा भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने में भी मदद करेगा, जिसमें इसके "बडी-बडी" हवाई ईंधन भरने की प्रणाली को अपग्रेड करना शामिल है. यह सुविधा लगभग 10 भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों को हवा में ही ईंधन भरने में सक्षम बनाएगी, जिससे उनकी परिचालन सीमा बढ़ जाएगी. 


रक्षा सूत्रों ने पहले बताया था कि इस सौदे में भारतीय वायुसेना के लिए  उपकरण और सॉफ़्टवेयर अपग्रेड शामिल होने की संभावना है. रिपोर्ट के मुताबिक इसके अतिरिक्त, नौसेना को 4.5-पीढ़ी के राफेल जेट के संचालन का समर्थन करने के लिए अपने विमान वाहक पर विशेष उपकरण लगाने की आवश्यकता होगी. जबकि मिग-29K आईएनएस विक्रमादित्य से संचालित होते रहेंगे, राफेल मरीन जेट के शामिल होने से नौसेना की हवाई शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है. आगे देखते हुए, भारतीय नौसेना स्वदेशी पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट को शामिल करने की भी योजना बना रही है, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किए जा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आगामी दोहरे इंजन वाला डेक-आधारित लड़ाकू विमान, संभवतः उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) का नौसैनिक प्रतिरूप होगा, जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा भारतीय वायु सेना के लिए विकसित किया जा रहा है.


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