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भारत का सबसे बड़ा दुश्मन दूसरे देशों पर निर्भरता है, आत्मनिर्भरता ही एकमात्र उपाय

Updated on: 21 September, 2025 01:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

`समुद्र से समृद्धि` कार्यक्रम में बोलते हुए, जहाँ उन्होंने 34,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक ही समाधान है, और वह है आत्मनिर्भरता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भावनगर के गांधी मैदान में `समुद्र से समृद्धि` कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित किया. तस्वीर/पीटीआई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भावनगर के गांधी मैदान में `समुद्र से समृद्धि` कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित किया. तस्वीर/पीटीआई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत का मुख्य दुश्मन दूसरे देशों पर उसकी निर्भरता है. उन्होंने `आत्मनिर्भरता` की पुरज़ोर वकालत की और सेमीकंडक्टर चिप्स से लेकर जहाज़ों तक, हर चीज़ का स्वदेशी उत्पादन करने का आह्वान किया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार `समुद्र से समृद्धि` कार्यक्रम में बोलते हुए, जहाँ उन्होंने 34,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की सभी समस्याओं का एक ही समाधान है, और वह है आत्मनिर्भरता. प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत विश्व बंधुत्व की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है और आज दुनिया में भारत का कोई बड़ा दुश्मन नहीं है, लेकिन सही मायने में, भारत का सबसे बड़ा दुश्मन दूसरे देशों पर निर्भरता है." उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस निर्भरता को सामूहिक रूप से हराना होगा. "वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए, दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना होगा," प्रधानमंत्री मोदी ने आगाह करते हुए कहा कि दूसरों पर निर्भरता राष्ट्रीय स्वाभिमान के साथ समझौता है. उन्होंने आगे कहा, "140 करोड़ भारतीयों का भविष्य बाहरी ताकतों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, न ही राष्ट्रीय विकास का संकल्प विदेशी निर्भरता पर आधारित हो सकता है. आने वाली पीढ़ियों का भविष्य दूसरों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. अगर 140 करोड़ की आबादी वाला देश दूसरों पर निर्भर है, तो यह राष्ट्रीय स्वाभिमान के साथ समझौता है".

रिपोर्ट के मुताबिक एक उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा: "एक लोकप्रिय कहावत के अनुसार, सौ प्रकार के दर्द का एक ही इलाज है; इसी प्रकार, भारत की सभी समस्याओं का एक ही समाधान है, और वह है आत्मनिर्भरता." मोदी ने कहा, "भारत की अंतर्निहित शक्तियों की लगातार अनदेखी करने के परिणामस्वरूप, देश आज़ादी के छह-सात दशक बाद भी वह सफलता हासिल नहीं कर पाया जिसका वह हक़दार था." पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने "लाइसेंस-कोटा व्यवस्था में लंबे समय तक उलझे रहने और वैश्विक बाज़ारों से अलगाव" को इसके मुख्य कारण बताया.


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब वैश्वीकरण का दौर शुरू हुआ, तब तत्कालीन सरकारों ने सिर्फ़ आयात पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे हज़ारों करोड़ रुपये के घोटाले हुए. रिपोर्ट के अनुसार भारत के नौवहन क्षेत्र को दोषपूर्ण नीतियों से हुए नुकसान का एक उदाहरण बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कभी एक बेहद जीवंत जहाज निर्माण उद्योग था.


उन्होंने कहा, "भारत के तटीय राज्यों में बने जहाज़ कभी घरेलू और वैश्विक व्यापार को संचालित करते थे. पचास साल पहले भी, भारत घरेलू स्तर पर निर्मित जहाजों का इस्तेमाल करता था, और उसका 40 प्रतिशत से ज़्यादा आयात-निर्यात इन्हीं के ज़रिए होता था. 50 साल पहले तक, हमारा व्यापार 40 प्रतिशत भारत में बने जहाजों से होता था, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ़ 5 प्रतिशत रह गया है." रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत विदेशी शिपिंग कंपनियों को उनकी सेवाओं के लिए हर साल 75 अरब अमेरिकी डॉलर या 6 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करता है.

मोदी ने कहा, “क्या लोग कल्पना कर सकते हैं कि पिछले सात दशकों में दूसरे देशों को माल ढुलाई के रूप में कितना पैसा दिया गया है? इस धन के बहिर्वाह ने विदेशों में लाखों नौकरियाँ पैदा की हैं. अगर इस खर्च का एक छोटा सा हिस्सा भी पिछली सरकारों ने घरेलू शिपिंग उद्योग में लगाया होता, तो आज दुनिया भारतीय जहाजों का इस्तेमाल कर रही होती और भारत शिपिंग सेवाओं से लाखों करोड़ रुपये कमा रहा होता”. “चिप्स (सेमीकंडक्टर चिप्स) हों या जहाज, हमें इन्हें भारत में ही बनाना चाहिए,” उन्होंने घोषणा की और कहा कि घरेलू बंदरगाह भारत के वैश्विक समुद्री महाशक्ति के रूप में उभरने की रीढ़ हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र अब अगली पीढ़ी के सुधारों की ओर बढ़ रहा है, और घोषणा की कि अब से देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को बहु-दस्तावेजों और खंडित प्रक्रियाओं से मुक्त कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा,  “एक राष्ट्र, एक दस्तावेज और एक राष्ट्र, एक बंदरगाह प्रक्रिया के कार्यान्वयन से व्यापार और वाणिज्य सरल हो जाएगा”. मोदी ने यह भी कहा कि समुद्री क्षेत्र में कई सुधार शुरू किए गए हैं, जिनमें पाँच समुद्री कानूनों को नए रूप में पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जिसमें बड़े जहाजों को अब बुनियादी ढाँचे का दर्जा दिया गया है.मोदी ने कहा, "जहाज निर्माण कंपनियों को अब बैंकों से ऋण प्राप्त करना आसान हो जाएगा और उन्हें कम ब्याज दरों का लाभ मिलेगा. बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण से जुड़े सभी लाभ अब इन जहाज निर्माण उद्यमों तक पहुँचेंगे." प्रधानमंत्री के अनुसार, उनकी सरकार भारत को एक प्रमुख समुद्री शक्ति बनाने के लिए तीन प्रमुख योजनाओं पर काम कर रही है. उन्होंने कहा, "इन पहलों से जहाज निर्माण क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता आसान होगी, शिपयार्ड आधुनिक तकनीक अपनाने में मदद करेंगे और डिज़ाइन तथा गुणवत्ता मानकों में सुधार करेंगे. आने वाले वर्षों में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा." शनिवार के कार्यक्रम के दौरान, मोदी ने 7,870 करोड़ रुपये से अधिक की समुद्री विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. उन्होंने गुजरात में विभिन्न क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों की 26,354 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का अनावरण और शिलान्यास भी किया. 


बाद में, प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित ग्रीनफील्ड औद्योगिक केंद्र, धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया. उन्होंने अहमदाबाद जिले के लोथल में निर्माणाधीन राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की प्रगति की भी समीक्षा की, जिसका उद्देश्य भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करना है. इससे पहले, सुबह भावनगर पहुँचने पर मोदी ने एक रोड शो में भाग लिया.

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