Updated on: 02 October, 2024 03:38 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
अब ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजराइल पर हमला किया है. तेल उत्पादक देश ईरान के साथ युद्ध में उलझने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखा गया है.
छवि मिड-डे के सौजन्य से
ईरान ने मंगलवार रात को इजराइल पर हमलों की एक श्रृंखला शुरू की जिससे पूरे मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध का खतरा पैदा हो गया है. इससे पहले इजरायली हमले में ईरान समर्थित लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत हो गई थी. अब ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजराइल पर हमला किया है. तेल उत्पादक देश ईरान के साथ युद्ध में उलझने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखा गया है.
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मंगलवार को तेल की कीमतों में करीब 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. वैश्विक ट्रेडमार्क ब्रेंट क्रूड 1.86 डॉलर या 2.6 फीसदी बढ़कर 73.56 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 1.66 डॉलर या 2.4 फीसदी बढ़कर 69.83 डॉलर पर बंद हुआ. मंगलवार को ही दोनों क्रूड बेंचमार्क में 5 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखने को मिला.
पिछले सप्ताह ब्रेंट में लगभग 3 फीसदी की गिरावट आई, जबकि WTI में लगभग 5 फीसदी की गिरावट आई, हालांकि, ईरान के साथ संघर्ष की आशंका के बीच सोमवार को तेल की कीमतों में तेजी आई. ईरान के प्रॉक्सी हिजबुल्लाह और यमन के हौथी विद्रोहियों पर इजरायल के तेज हमलों के बीच और तनाव बढ़ने की आशंका के बीच तेल की कीमतें बढ़ीं. शीर्ष तेल उत्पादकों में से एक ईरान, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) का एक प्रमुख सदस्य है.
फिलिप नोवा के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक प्रियंका सचदेवा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि बाजार को डर है कि मध्य पूर्व संकट बढ़ेगा, जिससे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों से आपूर्ति कम हो सकती है. आईजी मार्केट्स के बाजार विश्लेषक टोनी सिकामोर का कहना है कि हिजबुल्लाह पर इजरायली हमले के संदर्भ में आपूर्ति और मांग के साथ तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होगा.
स्वतंत्र राजनीतिक जोखिम रणनीतिकार क्ले सीगल ने रॉयटर्स को बताया, "इजराइल ईरान पर सीधे हमला करने से नहीं हिचकिचाएगा." इस बात की प्रबल संभावना है कि यह ईरान की तेल संपत्तियों को निशाना बनाएगा. सीगल ने कहा कि अगर इजराइल ईरान के तेल उत्पादन और निर्यात सुविधाओं पर हमला करता है, तो भारी नुकसान होगा जो प्रति दिन 1 मिलियन बैरल से अधिक हो सकता है.
भारत की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कच्चे तेल पर निर्भर है. भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी तेल आवश्यकताओं का 85 प्रतिशत से अधिक आयात करता है. ऐसे में तेल की बढ़ती कीमतों का असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है. भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का कुछ हिस्सा ईरान से भी खरीदता है. हालांकि, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत की ईरान से तेल खरीद में गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2014-15 में जहां भारत ने ईरान से 4 अरब डॉलर से ज्यादा का कच्चा तेल खरीदा था, वहीं 2019-20 में यह घटकर सिर्फ 1.4 अरब डॉलर रह गया.
एसएस वेल्थस्ट्रीट की संस्थापक सुगंधा सचदेवा ने कहा कि मध्य पूर्व में भूराजनीतिक तनाव का वैश्विक तेल की कीमतों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. विशेष रूप से होर्मुज जलडमरूमध्य को ध्यान में रखते हुए जो एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है. वैश्विक तेल व्यापार का 30 प्रतिशत इसी शिपिंग मार्ग से होकर गुजरता है. सचदेवा ने चेतावनी दी कि होर्मुज जलडमरूमध्य में कोई भी रुकावट वैश्विक तेल आपूर्ति और माल ढुलाई को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है, जिससे रसद चुनौतियां और बढ़ जाएंगी. उनका कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा 71 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 85-87 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो भारत के लिए चिंता का विषय है.
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत का बजट बिगड़ सकता है और साथ ही अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो सकता है. इससे रुपये पर भी दबाव पड़ सकता है और विदेशी पूंजी प्रवाह पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. भारत ईरान से न सिर्फ कच्चा तेल बल्कि सूखे मेवे, रसायन और कांच के बर्तन भी खरीदता है. इजराइल पर ईरानी हमले से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है, जिससे व्यापार भी प्रभावित होगा.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को लेकर बेहद चिंतित है. इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव से क्षेत्र में बड़े युद्ध का खतरा बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि भारत बातचीत और कूटनीति के जरिए क्षेत्र के मुद्दों को सुलझाने में भागीदार बन सकता है. वाशिंगटन में एक थिंक टैंक से बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ``कठिन समय में संचार के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता. यदि हम किसी से कुछ संवाद करना चाहते हैं या किसी को संदेश भेजना चाहते हैं और फिर उन्हें वापस संदेश भेजना चाहते हैं, तो मुझे लगता है कि हम ऐसा कर सकते हैं. विदेश मंत्री के बयान के कुछ ही घंटों बाद ईरानी मिसाइलें इजरायल पर दागने लगीं.
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