Updated on: 08 November, 2024 07:18 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
यह प्रस्ताव राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने प्रस्तुत किया, जिसका बैठक में उपस्थित अन्य सदस्यों ने समर्थन किया.
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उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग महिलाओं को "बुरे स्पर्श" से बचाने और कुछ लोगों के असामाजिक बुरे इरादों पर अंकुश लगाने के लिए एक नया प्रस्ताव लेकर आया है. इस प्रस्ताव के मुताबिक पुरुष (पुरुष दर्जी) महिलाओं के कपड़े नहीं सिल सकेंगे और न ही सैलून में उनके बाल काट सकेंगे. यह प्रस्ताव राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने प्रस्तुत किया, जिसका बैठक में उपस्थित अन्य सदस्यों ने समर्थन किया.
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आपको बता दें कि 28 अक्टूबर को यूपी में हुई महिला आयोग की बैठक के बाद कई ऐसे सुझाव दिए गए थे, जिनमें पुरुषों को महिलाओं के कपड़े नापने की इजाजत न देना और दुकानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल था. फिलहाल यह सिर्फ एक प्रस्ताव है जिसे बाद में महिला आयोग राज्य सरकार से इस संबंध में कानून बनाने का अनुरोध करेगा. महिला आयोग के नियमों का पालन कराना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी होगी.
इस संबंध में यूपी महिला आयोग की सदस्य हिमानी अग्रवाल ने शुक्रवार को एक न्यूज एजेंसी को बताया कि हाल ही में हुई महिला आयोग की बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि महिलाओं के लिए बनाए और पहने जाने वाले कपड़ों की माप केवल महिला दर्जी ही करेंगी. साथ ही उनकी दुकानों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएं.
हिमानी अग्रवाल के मुताबिक सैलून में महिला नाईयों को ही महिला ग्राहकों का ख्याल रखना चाहिए. क्योंकि, हमारा मानना है कि इस तरह के धंधे में शामिल पुरुषों की वजह से ही महिलाओं के साथ छेड़छाड़ होती है और कुछ पुरुष बदसलूकी करने की कोशिश करते हैं. कुछ मर्दों की नियत भी अच्छी नहीं होती. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सभी पुरुषों के इरादे बुरे नहीं होते.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कहा, ``महिलाएं जहां भी जाएं, जिम में महिला प्रशिक्षक होनी चाहिए. सभी जिम प्रशिक्षकों को पुलिस सत्यापन से गुजरना होगा. अगर कोई महिला किसी पुरुष ट्रेनर से ट्रेनिंग लेना चाहती है तो उसे लिखित में आवेदन करना होगा. यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि महिला आयोग को जिम जाने वाली महिलाओं और लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार की लगातार शिकायतें मिल रही थीं. साथ ही, दर्जी की दुकान जहां महिलाओं के कपड़े सिलते हैं, वहां यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि माप लेने के लिए केवल महिला दर्जी को ही नियुक्त किया जाए. इतना ही नहीं, जिन स्कूल बसों में लड़कियां सफर करती हैं, उनमें महिला स्टाफ होना जरूरी है. फिलहाल महिला आयोग ने सभी जिलों को इस संबंध में आदेश दे दिये हैं. जो नहीं मानेंगे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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