Updated on: 16 May, 2025 05:07 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
दोनों देशों के बीच कई दिनों से चल रहा तनाव खत्म हो गया है. नियंत्रण रेखा के पास जम्मू-कश्मीर के जिलों में हुई गोलाबारी में घरों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है.
फाइल फोटो
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई सहमति के बाद पुंछ के सलोत्री में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास बसे आखिरी गांव में विस्थापित सीमावर्ती निवासियों ने शुक्रवार को लौटना शुरू कर दिया. दोनों देशों के बीच कई दिनों से चल रहा तनाव खत्म हो गया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार नियंत्रण रेखा के पास जम्मू-कश्मीर के जिलों में हुई गोलाबारी में घरों और बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है, साथ ही नागरिकों की जान भी गई है. गांव के लोगों ने भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सहमति के लिए सरकार का आभार जताया.
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रिपोर्ट के मुताबिक सलोत्री गांव के निवासी अमजीद अली ने कहा, "हम यहां रहते हैं और हमने पहली बार ऐसा कुछ होते देखा है. सरकार ने हमारी सुरक्षा के लिए हरसंभव मदद की थी, लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच की स्थिति को देखकर हम डर गए थे. भारतीय सेना ने भी हमें पूरी सुरक्षा दी और हमारा ख्याल रखा. स्थिति के बाद पूरा गांव खाली हो गया था. हम अपने गांव में वापस आ गए हैं क्योंकि यहां फिर से शांति है."
एक अन्य ग्रामीण हाजी जुनियत ने सरकार से वहां बंकर बनाने का आग्रह किया. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "यहां करीब 400 लोग रुके थे. जब आग लगी तो लोग गांव छोड़कर चले गए. प्रशासन ने हमारी देखभाल की और एसएचओ ने हमारी समस्या सुनी. आज हम अपने गांव वापस आ गए हैं. लेकिन यहां एक समस्या यह है कि हमारे पास बंकर नहीं हैं. पाकिस्तान की सीमा नजदीक है, लेकिन यहां पर्याप्त बंकर नहीं हैं. मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि यहां बंकर बनाए जाएं. हम दोनों देशों से आग्रह करते हैं कि युद्ध समाधान नहीं है, क्योंकि ऐसी स्थितियों में लोग मरते हैं. जो लोग कहते हैं कि युद्ध होना चाहिए, लेकिन हम यहां रहते हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह बहुत मुश्किल है."
कल भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में डोर-टू-डोर सहायता अभियान चलाया, खासकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के इलाकों में जो हाल ही में पाकिस्तानी गोलाबारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आउटरीच प्रयास के हिस्से के रूप में, सेना के जवानों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार की शत्रुता से प्रभावित नागरिकों को दवाइयों और राशन सहित आवश्यक आपूर्ति वितरित की, जिसे 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था जिसमें एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोग मारे गए थे.
सेना के रोमियो फोर्स के जवानों ने स्थानीय लोगों से बातचीत की ताकि उनकी ज़रूरतों को समझा जा सके और मौजूदा सुरक्षा स्थिति के दौरान उन्हें आश्वस्त किया जा सके. भारतीय सशस्त्र बलों ने सीमा पार कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए आक्रामकता का दृढ़ता से जवाब दिया. बाद में, पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) द्वारा अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क करने के बाद दोनों देश गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए.
ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के लिए भारत की निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया थी. 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. हमले के बाद, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से गोलाबारी की और साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमलों का प्रयास किया, जिसके बाद भारत ने एक समन्वित हमला किया.
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