Updated on: 22 January, 2024 12:22 PM IST | mumbai 
                                                    
                            Hindi Mid-day Online Correspondent                             
                                   
                    
Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में श्रीराम नाम की ध्वनि गुंजायमान है. यहां बस थोड़ी देर में रामलला का विराजमान किया जाएगा. आज सुबह से ही अयोध्या नगरी में माहौल काफी शानदार है. यहां पीएम मोदी अनुष्ठान प्रारंभ कर चुके हैं.
                प्रधानमंत्री मोदी के हाथों हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा. (फोटो/श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र)
Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में श्रीराम नाम की ध्वनि गुंजायमान है. यहां बस थोड़ी देर में रामलला का विराजमान किया जाएगा. आज सुबह से ही अयोध्या नगरी में माहौल काफी शानदार है. यहां पीएम मोदी अनुष्ठान प्रारंभ कर चुके हैं.
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श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातः काल 10 बजे से `मंगल ध्वनि` के भव्य वादन का कार्यक्रम है. अगर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त की करें तो दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड के बीच है. विभिन्न राज्यों से 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र भी इस दौरान बजाए जाएंगे.
इस भव्य समारोह के लिए जो भी दिग्गज अयोध्या पहुंचे, उनकी प्रवेशिका को लेकर कुछ गाइड लाइंस जारी की गई हैं. सभी को 10.30 तक प्रवेश करना था. एक मीडिया के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा की मुख्य पूजा अभिजीत मुहूर्त में की जाएगी. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है. यह कार्यक्रम पौष माह के द्वादशी तिथि (22 जनवरी 2024) को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश में होगा.
मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के समारोह के लिए सभी पहुंच चुके हैं. मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री मोदी के हाथों अनुष्ठान भी प्रारंभ हो चुका है. उनके साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी इस पूजन में बैठे हैं.
आपको बता दें कि यह अनुष्ठान काशी के प्रख्यात वैदिक आचार्य गणेश्वर द्रविड़ और आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में 121 वैदिक आचार्य संपन्न कराएंगे. साथ ही यहां 150 से अधिक परंपराओं के संत-धर्माचार्य मौजूद रहेंगे. इसके अलावा 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तटवासी, द्वीपवासी, जनजातीय परंपराओं की भी उपस्थिति होगी.
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