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लड़की के अंडर गारमेंट्स उतारना बलात्कार नहीं है: राजस्थान हाई कोर्ट का चौंकाने वाला फैसला

Updated on: 13 June, 2024 07:15 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

भारत में बलात्कार की घटनाओं पर अभी भी गंभीर ध्यान नहीं दिया जाता है, इसका एक उदाहरण देश की एक अदालत ने दिया है. हाल ही में 33 साल पुराने एक केस में राजस्थान हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि लड़की के और अपने कपड़े उतारकर पूरी तरह नग्न होना बलात्कार नहीं माना जाएगा.

प्रतिकात्मक तस्वीर/आईस्टॉक

प्रतिकात्मक तस्वीर/आईस्टॉक

भारत में बलात्कार की घटनाओं पर अभी भी गंभीर ध्यान नहीं दिया जाता है, इसका एक उदाहरण देश की एक अदालत ने दिया है. हाल ही में 33 साल पुराने एक केस में राजस्थान हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि लड़की के और अपने कपड़े उतारकर पूरी तरह नग्न होना बलात्कार नहीं माना जाएगा. अदालत के इस फैसले से देशभर में आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है.

राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस अनुप कुमार धांड की बेंच ने 33 साल पुराने बलात्कार के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि लड़की के अंडर गारमेंट्स उतारकर और स्वयं पूरी तरह नग्न होकर बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता. इस क्रिया को आईपीसी की धारा 376 और 511 के तहत सजा नहीं दी जा सकती. हालांकि, ऐसी घटना में आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत महिला की शील भंग करने के इरादे से हमला करने का अपराध माना जा सकता है.


फैसला सुनाते समय, जस्टिस अनुप कुमार धांड ने सित्तू बनाम राजस्थान राज्य केस का हवाला दिया. सित्तू बनाम राजस्थान राज्य केस में आरोपी ने जबरदस्ती एक लड़की के कपड़े उतारे और फिर लड़की के विरोध के बावजूद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया. इस मामले में आरोपी के खिलाफ बलात्कार का प्रयास करने का अपराध दर्ज कर उसे सजा दी गई थी. इससे पहले भी दामोदर बेहेरा बनाम ओडिशा केस में समान घटना हुई थी.


दामोदर बेहेरा बनाम ओडिशा केस में आरोपी ने एक महिला की साड़ी उतार दी थी, और जब वह चीखने लगी, तो आरोपी भीड़ देखकर वहां से भाग गया. हालांकि, अदालत ने इस केस में बलात्कार नहीं होने का कहकर इसे आईपीसी की धारा 354 के तहत महिला की शील भंग करने का अपराध माना और आरोपी को सजा दी, लेकिन राजस्थान के इस 33 साल पुराने केस में आरोपी ने एक छह साल की लड़की के साथ छेड़छाड़ की थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 9 मार्च 1991 के केस में आरोपी सुवालाल 25 साल का था जब उसने यह अपराध किया था. सुवालाल ने एक छह साल की लड़की के और अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और जब लड़की ने बचाव के लिए चीखें मारीं, तो आरोपी वहां से भाग गया था. राजस्थान के टोंक जिले की जिला अदालत द्वारा सुवालाल को बलात्कार का प्रयास करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था और ट्रायल के दौरान उसे ढाई महीने तक जेल में भी रखा गया था.


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