Updated on: 27 March, 2024 02:22 PM IST | mumbai
Ujwala Dharpawar
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप शिंदे ने 1 अप्रैल 2024 को सुबह 11 बजे सोलापुर में प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की जाएगी.
कहा जा रहा है कि किसी ने सोलापुर जिले के बाहर बीड के रहने वाले विधायक राम सातपुते को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस की प्रणीति शिंदे की जीत का रास्ता साफ करने की बड़ी साजिश रची है.
सोलापुर से भारतीय जनता पार्टी ने राम सातपुते की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी गई है. नाम का ऐलान होने के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता और सोलापुर के लोग इस उम्मीदवारी का कड़ा विरोध कर रहे हैं. हालांकि स्थानीय नेतृत्व और सोलापुर के लोगों ने बार-बार मांग की थी कि कार्यकर्ताओं को सोलापुर में एक स्थानीय उम्मीदवार देना चाहिए, लेकिन पार्टी ने राम सातपुते (Ram Satpute) का नाम जाहिर करते हुए कई कार्यकर्ता और स्थानीय लोगों को नाराज कर दिया है. भविष्य में बीजेपी को सोलापुर लोकसभा चुनाव में मिली सीट गंवानी पड़ सकती है. इसीलिए कार्यकर्ताओं और सोलापुरवासियों के आग्रह पर भारतीय जनता पार्टी के महत्वाकांक्षी उम्मीदवार दिलीप शिंदे ने उम्मीदवार बदलने की मांग की. लोगों ने नरेंद्र मोदी, अमित शाह और देवेन्द्र फड़णवीस को अपील की है कि अगर उम्मीदवार नहीं बदला गया तो कार्यकर्ताओं के आग्रह पर उन्हें सोलापुर लोकसभा के लिए अपनी उम्मीदवारी दाखिल करनी होगी.
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इस संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप शिंदे ने 1 अप्रैल 2024 को सुबह 11 बजे सोलापुर में प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की जाएगी. इसी बीच बीजेपी के महत्वाकांक्षी उम्मीदवार दिलीप शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, `इस बैठक में कार्यकर्ताओं की राय जानने के बाद आगे की दिशा तय की जाएगी. इस अवसर पर साईनाथ कोली, गणेश कांबले, राजू भागवत, गिरीश सर्वदे, फारूक शेख, प्रकाश राजपूत, सुरेश अंबुरे, मंगेश शिंदे, शंकर कोली और अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे.`
दिलीप शिंदे ने बताया कि `पिछले 10 वर्षों में सोलापुर में भारतीय जनता पार्टी के सांसद रहे हैं. जब जनता की ओर से यह कहा गया कि सोलापुर का विकास नहीं हुआ है, तो यह सोचा गया था कि पार्टी कम से कम 2024 के लोकसभा चुनाव में स्थानीय उम्मीदवार उतारेगी. लेकिन जब स्थानीय नहीं बल्कि किसी और की उम्मीदवारी जाहिर होने के बाद लोगों का मोहभंग हो गया है. कहा जा रहा है कि किसी ने सोलापुर जिले के बाहर बीड के रहने वाले विधायक राम सातपुते को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस की प्रणीति शिंदे की जीत का रास्ता साफ करने की बड़ी साजिश रची है. हम किसी समय स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार का चुनाव करेंगे.` उन्होंने कहा, `सोलापुर से स्थानीय उम्मीदवार की मांग को जानबूझकर नजरअंदाज करते हुए और बाहरी उम्मीदवार का विरोध करते हुए, भारतीय जनता पार्टी में किसी ने एक बड़ी साजिश रची और कांग्रेस की प्रणीति शिंदे को हराने के लिए राम सातपुते को उम्मीदवार बनाया है.`
उन्होंने कहा, `सोलापुर जिले के नेता विजयसिंह मोहिते-पाटिल हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. विधानसभा चुनाव के समय राम सातपुते को विधानसभा के लिए बीड से मालशिरस भेजा गया था. दादा ने सहृदयतापूर्वक उनकी बात स्वीकार कर ली और विधान सभा के लिए चुन लिया. सोलापुर लोकसभा क्षेत्र में करीब 20 लाख मतदाता हैं. ऐसे में किसी ने जानबूझकर यह संदेश डाला है कि कोई भी कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव के लिए उपयुक्त नहीं है. क्या इसलिए कि सोलापुर के लोग योग्य नहीं हैं? हमें बताया गया है कि बाहरी जिले के राम सातपुते योग्य हैं. इस मौके पर सोलापुर के लोगों को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है और उनका अपमान किया गया है.`
दिलीप शिंदे ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, `सोलापुर में लगभग 2 से 2.5 लाख निर्णायक वोट होने पर अम्बेडकरी समुदाय पर विचार नहीं किया गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में करीबी मुकाबले में शरद बंसोडे को समुदाय के सर्वसम्मत वोट मिले. 2019 में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. यहां सुशील कुमार शिंदे, जयसिद्धेश्वर स्वामी और प्रकाश अंबेडकर के बीच मुकाबले में प्रकाश अंबेडकर को अंबेडकर समुदाय के 1 लाख 70 हजार वोट मिले. यहां बंटवारा हुआ और बीजेपी के जयसिद्धेश्वर स्वामी यहां जीत गए. 2024 के चुनाव में कड़ी टक्कर की उम्मीद है. यहां डाॅ. अम्बेडकरी समाज की निर्णायक राय होगी. लेकिन जिले के बाहर अम्बेडकरी समुदाय से कोई उम्मीदवार नहीं है, इसलिए संभावना है कि ये वोट कांग्रेस को मिलेंगे. तो फिर पार्टी नेतृत्व को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और उम्मीदवार बदलना चाहिए.`
सोलापुर के 19 स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा के लिए नामांकन की मांग की थी. इनमें से किसी भी उम्मीदवार को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया, कोई पूछताछ नहीं की गई, हमें लगातार कहा गया कि अपना नाम सर्वे में आने दीजिए. दिलीप शिंदे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कार्यकर्ता और नागरिक सवाल कर रहे थे कि राम सातपुते का नाम सर्वेक्षण में कैसे आया जब वह स्थानीय नहीं थे.
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