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शिवसेना (UBT) प्रवक्ता हर्षल प्रधान का भाजपा पर वार, कहा- `बाढ़ पीड़ितों की चिंता है तो नागपुर रैली रद्द कराओ`

Updated on: 30 September, 2025 09:46 AM IST | Mumbai

भाजपा नेताओं ने शिवसेना (UBT) को दशहरा सभा रद्द कर खर्च बाढ़ पीड़ितों को दान करने की सलाह दी. इस पर ठाकरे गुट ने भाजपा को दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि नागपुर में होने वाली RSS सभा पर चुप्पी क्यों साधी गई?

X/Pics, ShivSena - शिवसेना Uddhav Balasaheb Thackeray

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शिवसेना (UBT) ने साफ कर दिया है कि इस बार दशहरा सभा किसी भी हाल में शिवाजी पार्क मैदान में ही आयोजित की जाएगी. चाहे आसमान से झमाझम बारिश हो या मैदान कीचड़ से भर जाए, परंपरा को तोड़ना संभव नहीं है. शिवसेना ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर वास्तव में बाढ़ पीड़ितों की चिंता है तो भाजपा पहले नागपुर में होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सभा रद्द कराए और उसका सारा खर्च पीड़ितों को दान करे.

शिवसेना दशहरा सभा का 58 साल का लंबा इतिहास रहा है. बालासाहेब ठाकरे ने इस परंपरा की नींव रखी थी और तब से लेकर आज तक शिवाजी पार्क की दशहरा सभा महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे अहम पड़ाव मानी जाती है. हालांकि, यह परंपरा कुछ बार टूटी भी है. 2006 में भारी बारिश और मैदान में कीचड़ भरने के कारण सभा रद्द करनी पड़ी थी. 2009 में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते इसे टाल दिया गया और कोरोना काल (2020-21) में सभा हॉल में आयोजित करनी पड़ी. इसके बावजूद, शिवाजी पार्क की सभा ही असली पहचान बनी हुई है.


 



 

भाजपा नेताओं ने उद्धव ठाकरे गुट को सलाह दी थी कि इस बार की सभा रद्द कर दी जाए और करोड़ों का खर्च बाढ़ पीड़ितों को दान कर दिया जाए. इस पर पलटवार करते हुए ठाकरे गुट ने भाजपा पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया. ठाकरे गुट के प्रवक्ता हर्षल प्रधान ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “केशव उपाध्ये जैसे भाजपा नेता ठाकरे जी को तो सलाह दे रहे हैं, लेकिन नागपुर में होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सभा पर चुप क्यों हैं? अगर सचमुच संवेदना है, तो सबसे पहले सरसंघचालक मोहन भागवत की सभा रद्द कर बाढ़ पीड़ितों की मदद की जानी चाहिए.”

शिवसेना (UBT) का कहना है कि भाजपा केवल दिखावे के लिए पीड़ितों की बात करती है. वास्तव में, जनता के मुद्दों पर भाजपा की गंभीरता शून्य है. ठाकरे गुट का तर्क है कि दशहरा सभा केवल राजनीतिक भाषण नहीं, बल्कि शिवसेना कार्यकर्ताओं की आस्था और परंपरा का हिस्सा है. इसे रोकने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

इस तरह, दशहरे की राजनीतिक जंग अब और तेज हो गई है. एक तरफ भाजपा है जो खर्च और संवेदनशीलता का सवाल उठा रही है, वहीं दूसरी तरफ ठाकरे गुट है जो परंपरा, आस्था और राजनीतिक पहचान को हर हाल में बचाने के मूड में है.

 

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