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सुप्रीम कोर्ट ने दिया बंद पड़ी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचने का आदेश

Updated on: 07 November, 2024 04:23 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मंजूरी दे दी.

फाइल फोटो

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपनी असाधारण संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए बंद पड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश दिया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने वाले राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले को खारिज कर दिया और इसके स्वामित्व को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित करने को मंजूरी दे दी. पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई और अन्य लेनदारों की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखा गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश और डिक्री बनाने की शक्ति देता है. एनसीएलएटी ने 12 मार्च को बंद हो चुकी एयरलाइन की समाधान योजना को बरकरार रखा और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने को मंजूरी दे दी. एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले को चुनौती दी है. इस साल जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने नकदी की कमी से जूझ रही एयरलाइन के लिए सफल समाधान पेशेवर बोलीदाता जेकेसी को भारतीय स्टेट बैंक और जेकेसी द्वारा संयुक्त रूप से रखे गए एस्क्रो खाते में 150 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था. 


इसने आगाह किया था कि अगर जेकेसी बैंक गारंटी प्रस्तुत करने में विफल रही तो कानूनी परिणाम भुगतने होंगे. रिपोर्ट के अनुसार इसने एनसीएलएटी से मार्च 2024 के अंत तक बंद हो चुकी एयरलाइन के स्वामित्व को जेकेसी को चुनौती देने वाली ऋणदाताओं की याचिका पर फैसला करने को भी कहा था. एनसीएलएटी की तीन सदस्यीय पीठ ने 350 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए परफॉरमेंस बैंक गारंटी (पीबीजी) से 150 करोड़ रुपये के समायोजन पर सहमति व्यक्त की थी. 


अपीलीय न्यायाधिकरण ने पिछले साल 31 अगस्त तक 100 करोड़ रुपये और 30 सितंबर, 2023 तक 100 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कंसोर्टियम द्वारा दिए गए वचन को भी स्वीकार कर लिया था. रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर वित्तीय संकट के कारण, जेट एयरवेज, जो कभी भारत की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय एयरलाइनों में से एक थी, ने जून 2019 में दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में प्रवेश किया.


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