Updated on: 14 September, 2024 10:29 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय बल की सभी तीन कंपनियों को पर्याप्त आवास मिले.
सुप्रीम कोर्ट/फाइल फोटो
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि वह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के साथ मिलकर कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में तैनात कर्मचारियों के लिए दिन के अंत तक आवास और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने राज्य सरकार को अपने गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी और CISF के एक शीर्ष अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय बल की सभी तीन कंपनियों को पर्याप्त आवास मिले.
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रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने केंद्र के इस कथन को स्वीकार किया कि CISF की एक कंपनी वर्तमान में आरजी कर कॉलेज, कोलकाता नगर निगम स्कूल और इंदिरा मातृ सदन में RMA क्वार्टर में रह रही है. इसके अलावा, कर्मचारियों के पास छह बसें, चार ट्रक और तीन हल्के मोटर वाहन हैं. पीठ ने राज्य प्रशासन से शाम 5 बजे तक सभी आवास अनुरोधों को पूरा करने और रात 9 बजे तक उचित सुरक्षा उपकरण देने को भी कहा. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सीआईएसएफ, जिसमें इसकी महिला अधिकारी भी शामिल हैं, को पर्याप्त आवास उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. जवाब में, पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बल को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गई हैं और अधिकांश सैनिक अस्पताल परिसर में रह रहे हैं.
केंद्र ने 3 सितंबर को ही एक मुकदमा दायर किया था, जिसमें सीआईएसएफ को रसद सहायता प्रदान करने में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सहयोग की कमी का आरोप लगाया गया था. रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने इसे "प्रणालीगत अस्वस्थता" का हिस्सा बताया और अदालत से राज्य एजेंसियों को सीआईएसएफ के साथ उचित सहयोग करने का आदेश देने का अनुरोध किया.
एमएचए की दलील में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सीआईएसएफ के सामने आने वाली चुनौतियों, खासकर अस्पताल के छात्रावासों में सोने वाले रेजिडेंट डॉक्टरों को प्राप्त करने के बारे में चिंता व्यक्त की गई. रिपोर्ट के मुताबिक इसमें तैनात सैनिकों के लिए आवास और बुनियादी सुरक्षा ढांचे की कमी को उजागर किया गया है, जो अब अस्पताल से एक घंटे की दूरी पर कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट में रह रहे हैं. गृह मंत्रालय द्वारा 2 सितंबर को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के साथ इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करने के बावजूद राज्य प्रशासन ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिसके कारण केंद्र को अदालत से हस्तक्षेप करने के लिए कहना पड़ा.
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