Updated on: 24 September, 2024 03:10 PM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar
अंधारे ने सवाल किया कि जिस पिस्तौल से अक्षय को गोली मारी गई, उसे बाद में क्यों हटाया गया.
अंधारे ने बताया कि उन्हें अक्षय शिंदे की मौत पर इसलिए भी संदेह है क्योंकि यह घटना हैदराबाद के रेप केस की मुठभेड़ से मिलती-जुलती है.
ठाणे के चर्चित बदलापुर स्कूल कांड में बच्चियों के यौन शोषण के आरोपी अक्षय शिंदे के एनकाउंटर पर शिवसेना (UBT) नेता सुषमा अंधारे ने हमला बोला है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुषमा अंधारे ने अक्षय शिंदे एनकाउंटर मामले पर गंभीर सवाल उठाए और इसे लेकर गहरी शंका व्यक्त की. उन्होंने कहा कि अक्षय शिंदे को सजा मिलनी चाहिए थी, लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने मामले की जांच में लापरवाही बरती है और उसकी कार्यवाही धीमी गति से चल रही थी. उन्होंने पूछा कि पुलिस ने चार्जशीट रविवार को ही क्यों दाखिल की, जबकि पहले से ही पर्याप्त समय था.
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अंधारे ने सवाल किया कि जिस पिस्तौल से अक्षय को गोली मारी गई, उसे बाद में क्यों हटाया गया. उन्होंने पूछा कि जब अक्षय के दोनों हाथों में हथकड़ी लगी थी, तो वह पुलिसकर्मी के पिस्तौलदान से पिस्तौल निकालकर कैसे गोली चला सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को जल्दबाजी में निपटाने का प्रयास किया गया है, जो न्यायिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं है. उन्होंने शिंदे गुट के प्रवक्ता संजय शिरसाट के बयान का हवाला देते हुए कहा कि खुद शिंदे गुट के नेताओं ने इस मामले पर संदेह व्यक्त किया है. शिरसाट ने भी कहा था कि पुलिस को अपना काम करने देना चाहिए और कानून की प्रक्रिया को दरकिनार करना संदेहास्पद है. अंधारे ने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और कानून का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
अंधारे ने बताया कि उन्हें अक्षय शिंदे की मौत पर इसलिए भी संदेह है क्योंकि यह घटना हैदराबाद के रेप केस की मुठभेड़ से मिलती-जुलती है. उन्होंने कहा कि दोनों मामलों में क्राइम सीन विजिट के दौरान मुठभेड़ हुई और दोनों ही जगह आत्मरक्षा का तर्क दिया गया. उन्होंने सवाल किया कि पहले अक्षय को धीमा बताया गया था, फिर वह अचानक इतना हिंसक और फुर्तीला अपराधी कैसे बन गया?
अंधारे ने कहा कि अक्षय शिंदे की मौत से मामला खत्म नहीं होता, बल्कि इससे किसी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने इस घटना को राज्य प्रायोजित आतंकवाद और फर्जी मुठभेड़ का नतीजा बताते हुए इसकी जांच जजों की कमेटी से कराने की मांग की. उन्होंने एसआईटी के गठन को मजाक करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की.
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