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ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन ने अरुणाचल में नई छिपकली `कैलोट्स सिन्यिक` की खोज की

Updated on: 17 October, 2024 11:47 AM IST | Mumbai
Ranjeet Jadhav | ranjeet.jadhav@mid-day.com

ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन ने अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी नदी घाटी से एक नई, छोटे आकार की छिपकली `कैलोट्स सिन्यिक` की खोज की घोषणा की है.

तेजस ठाकरे, जो इस खोज में शामिल थे, ने मिड-डे से बातचीत करते हुए कहा, यह प्रजाति कैलोट्स जीनस का हिस्सा है, जो दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाने वाली दिनचर अगामिड छिपकलियों का समूह है

तेजस ठाकरे, जो इस खोज में शामिल थे, ने मिड-डे से बातचीत करते हुए कहा, यह प्रजाति कैलोट्स जीनस का हिस्सा है, जो दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाने वाली दिनचर अगामिड छिपकलियों का समूह है

की हाइलाइट्स

  1. ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन ने अरुणाचल प्रदेश में `कैलोट्स सिन्यिक` नामक नई छिपकली की खोज की
  2. प्रजाति का नाम टैगिन जनजाति की भाषा में "नदी" के लिए प्रयुक्त शब्द `सिन्यिक` पर आधारित है
  3. यह खोज उत्तर पूर्व भारत की अनदेखी जैव विविधता को उजागर करती है

ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन ने अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी नदी घाटी से एक नई, छोटे आकार की छिपकली की खोज की घोषणा की है. इस प्रजाति का नाम कैलोट्स सिन्यिक रखा गया है, जो टैगिन जनजाति की भाषा में "नदी" के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द "सिन्यिक" से प्रेरित है. यह नाम स्थानीय टैगिन जनजाति से प्रेरित है, जिनकी इस क्षेत्र की संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका है.

ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, "ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन ने गर्व से अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी नदी बेसिन से एक नई छोटे आकार की छिपकली कैलोट्स सिन्यिक की खोज की है. यह प्रजाति कैलोट्स जीनस से संबंधित है, जो दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाने वाली दिनचर अगामिड छिपकलियों का एक समूह है. `सिन्यिक` नाम टैगिन जनजाति की भाषा में नदी के लिए प्रयुक्त शब्द है, जो स्थानीय जनजाति को सम्मानित करता है. यह खोज पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध लेकिन अभी तक अपर्याप्त रूप से अध्ययन की गई जैव विविधता पर प्रकाश डालती है."


 
 
 
 
 
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कैलोट्स सिन्यिक प्रजाति कैलोट्स जीनस की अन्य प्रजातियों की तरह चमकीले रंग और छोटे आकार की है, और यह समूह मुख्य रूप से दिन में सक्रिय रहने वाली छिपकलियों का प्रतिनिधित्व करता है. यह नई प्रजाति उत्तर पूर्व भारत के समृद्ध और विविध पारिस्थितिक तंत्र में जैव विविधता के नए पहलुओं को सामने लाती है, जो वैज्ञानिक रूप से अभी तक पूरी तरह से खोजा नहीं गया है.


अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी नदी घाटी क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट माना जाता है, जहां कई दुर्लभ और अनोखी प्रजातियां पाई जाती हैं. हालांकि इस क्षेत्र की जैव विविधता का व्यापक अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन कैलोट्स सिन्यिक की खोज यह दर्शाती है कि अभी भी कई अज्ञात प्रजातियां इस क्षेत्र में मौजूद हैं, जिन्हें समझने और संरक्षित करने की जरूरत है.

तेजस ठाकरे, जो इस खोज में शामिल थे, ने मिड-डे से बातचीत करते हुए कहा, "यह प्रजाति कैलोट्स जीनस का हिस्सा है, जो दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाने वाली दिनचर अगामिड छिपकलियों का समूह है. `सिन्यिक` नाम टैगिन जनजाति की भाषा में नदी के लिए प्रयुक्त शब्द है, और यह नाम इस जनजाति के सम्मान में रखा गया है. यह खोज पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध लेकिन अक्सर अनदेखी की जाने वाली जैव विविधता को सामने लाती है."

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