Updated on: 24 March, 2025 10:51 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
1962 के चीनी आक्रमण के दौरान, विपक्ष के कुछ सांसदों (एमपी) ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए गुप्त बैठक बुलाने का सुझाव दिया था.
नियमों के अनुसार, स्पीकर यह तय कर सकते हैं कि गुप्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्टिंग कैसे की जाएगी. प्रतीकात्मक तस्वीर
सरकार के पास संवेदनशील मामलों पर चर्चा करने के लिए लोकसभा की "गुप्त बैठक" बुलाने का विकल्प है, हालांकि इस प्रावधान का कभी उपयोग नहीं किया गया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान, विपक्ष के कुछ सांसदों (एमपी) ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए गुप्त बैठक बुलाने का सुझाव दिया था.
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रिपोर्ट के मुताबिक `लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम` के अध्याय 25 में सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठक की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल हैं. जैसा कि नियम 248 के उपखंड एक में उल्लिखित है, यदि सदन के नेता ऐसा अनुरोध करते हैं, तो अध्यक्ष सदन को गुप्त रूप से बुलाने के लिए एक दिन या दिन का हिस्सा निर्धारित करेंगे. उपखंड दो में निर्दिष्ट किया गया है कि गुप्त बैठक के दौरान, किसी भी अजनबी को कक्ष, लॉबी या दीर्घाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, हालांकि कुछ व्यक्तियों को विशिष्ट परिस्थितियों में अनुमति दी जा सकती है.
अध्याय में एक अन्य नियम में कहा गया है कि अध्यक्ष यह तय कर सकते हैं कि गुप्त बैठक की कार्यवाही कैसे की जाएगी. रिपोर्ट के अनुसाए लेकिन उपस्थित कोई भी अन्य व्यक्ति गुप्त बैठक की किसी कार्यवाही या निर्णय का नोट या रिकॉर्ड नहीं रखेगा, चाहे वह आंशिक हो या पूर्ण, या ऐसी कार्यवाही की कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा या उसका वर्णन करने का दावा नहीं करेगा.
एक बार गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता समाप्त हो जाने पर, और अध्यक्ष की सहमति से, सदन के नेता या अधिकृत सदस्य कार्यवाही की गोपनीयता हटाने के लिए प्रस्ताव पेश कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यदि स्वीकृत हो जाता है, तो महासचिव जल्द से जल्द गुप्त बैठक की रिपोर्ट तैयार करके प्रकाशित करेंगे. नियम चेतावनी देते हैं कि बैठक की कार्यवाही या निर्णय का खुलासा करना "विशेषाधिकार का उल्लंघन" माना जाएगा.
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