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शख्स पर `मियां-तियां` और `पाकिस्तानी` कहने का आरोप, अब SC ने किया बरी

Updated on: 05 March, 2025 11:34 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

यह कहकर सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्द आदि बोलना) के आरोप से बरी कर दिया.

फ़ाइल छवि

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हाल ही में मुस्लिम समुदाय से जुड़ी टिप्पणियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि किसी व्यक्ति को `मियां-तियां` या `पाकिस्तानी` कहना अनुचित है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि उसने उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला अपराध किया है. यह कहकर सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्द आदि बोलना) के आरोप से बरी कर दिया.

अपीलकर्ता पर आरोप था कि उसने "मियां-तियां" और "पाकिस्तानी" कहकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की थी. लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "किए गए ऐसे दावे निस्संदेह झूठे हैं. हालांकि, ऐसे दावों से याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती हैं." इस मामले की बात करें तो यह मामला झारखंड के बोकारो के एक उर्दू अनुवादक और कार्यकारी क्लर्क मोहम्मद शमीमुद्दीन ने दायर किया था. शिकायतकर्ता के मुताबिक, जब वह सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के बारे में जानकारी देने के लिए आरोपी से मिलने गया तो आरोपी ने उसके धर्म का हवाला देते हुए उसके साथ दुर्व्यवहार किया. बूढ़ा उसे मियां-तियां और पाकिस्तानी भी कहता था. 


ऐसे में शमीमुद्दीन ने 80 वर्षीय हरि नारायण सिंह पर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें उनके आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए आपराधिक बल का भी इस्तेमाल किया गया. इस प्रकार, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया था.


फिर जिस बुजुर्ग व्यक्ति पर आरोप लगाया गया था उसने (सुप्रीम कोर्ट) अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश का दरवाजा खटखटाया. लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली. आख़िरकार उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्याय मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी. फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस बुजुर्ग को राहत देते हुए फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टिप्पणी गलत थी, लेकिन कोई आपराधिक मामला नहीं बनाया जा सकता. न्यायमूर्ति (सुप्रीम कोर्ट) बीवी नागरत्न और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि किसी को `मियां-तियान` या `पाकिस्तानी` कहना गलत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस व्यक्ति की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.


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