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महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 18 लाख रुपये के इनामी दो माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण

Updated on: 27 February, 2025 09:01 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

पुलिस ने बताया कि दोनों के सिर पर कुल 18 लाख रुपये का इनाम था, लेकिन उन्होंने हिंसक रास्ता छोड़ने का फैसला किया.

दोनों माओवादी गढ़चिरौली के भामरागढ़ क्षेत्र के रहने वाले हैं.

दोनों माओवादी गढ़चिरौली के भामरागढ़ क्षेत्र के रहने वाले हैं.

महाराष्ट्र सरकार की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति के तहत गढ़चिरौली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के समक्ष दो कट्टर माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने बताया कि दोनों के सिर पर कुल 18 लाख रुपये का इनाम था, लेकिन माओवादी आंदोलन से वर्षों की हताशा और मोहभंग के बाद उन्होंने हिंसक रास्ता छोड़ने का फैसला किया. राज्य की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति का उद्देश्य माओवादी कार्यकर्ताओं की मुख्यधारा में शांतिपूर्ण वापसी को सुगम बनाना है. 2005 से लागू इस नीति ने कई माओवादियों को अपनी हिंसक गतिविधियों को छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है.

दोनों माओवादी गढ़चिरौली के भामरागढ़ क्षेत्र के रहने वाले हैं. आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में से एक 56 वर्षीय डिवीजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम) है, जो 1993 से माओवादी संगठन में शामिल हुई थी. उसने विभिन्न पदों पर और विभिन्न स्थानों पर काम किया और उसके खिलाफ कुल 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें मुठभेड़, आगजनी और अन्य अपराध शामिल हैं. आत्मसमर्पण करने वाला दूसरा माओवादी 30 वर्षीय पार्टी सदस्य है. वह चार साल पहले प्रतिबंधित संगठन में शामिल हुआ था. उस पर एक मुठभेड़ का आरोप लगाया गया था, लेकिन पुलिस अन्य हिंसक घटनाओं में उसकी संलिप्तता की भी पुष्टि कर रही है.


दोनों ने अपने आत्मसमर्पण के लिए माओवादी नेतृत्व से निराशा का हवाला देते हुए कहा कि वरिष्ठ कैडरों ने पार्टी सदस्यों की चिकित्सा समस्याओं पर बहुत कम ध्यान दिया और अक्सर मुठभेड़ों के दौरान महिला सदस्यों को छोड़ दिया. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कैसे साथी आदिवासियों को मुखबिर होने के संदेह के आधार पर मार दिया गया और कैसे महिलाओं के साथ भेदभाव किया गया. दोनों माओवादियों ने यह भी बताया कि आंदोलन के लिए उन्हें जो धन इकट्ठा करने के लिए कहा गया था, उसका दुरुपयोग वरिष्ठ सदस्यों ने किया, न कि लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए.


पूर्व डीवीसीएम पर 16 लाख रुपये का इनाम था, जबकि पार्टी सदस्य पर 2 लाख रुपये का इनाम था. उनके आत्मसमर्पण के बाद, डीवीसीएम को 8.5 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि अन्य आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को पुनर्वास पैकेज के तहत 4.5 लाख रुपये दिए जाएँगे, जैसा कि केंद्र और महाराष्ट्र दोनों सरकारों द्वारा घोषित किया गया है. सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति की शुरुआत 2005 में हुई थी, तब से अब तक कुल 702 सक्रिय माओवादियों ने गढ़चिरौली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. पुलिस ने बताया कि इस साल अकेले 22 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है.

गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल ने आश्वासन दिया कि आत्मसमर्पण करने और समाज की मुख्यधारा में फिर से शामिल होने के इच्छुक लोगों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी. उन्होंने अन्य सक्रिय माओवादियों से हिंसा का त्याग करने और विकास और शांति की प्रक्रिया में शामिल होने का आग्रह किया. यह नीति वर्तमान में वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में कार्यान्वित की जा रही है, जिनमें संदीप पाटिल, विशेष पुलिस महानिरीक्षक (एएनओ) नागपुर, अंकित गोयल, पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी), गढ़चिरौली रेंज, और अजय कुमार शर्मा, डीआईजी (ऑप्स) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) शामिल हैं.


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