Updated on: 06 January, 2024 08:20 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में कहा कि उनकी पार्टी में 22 जनवरी को नाशिक में कालाराम मंदिर दर्शन के लिए जाएंगे.
Representational Image
Uddhav Thackeray Nashik Mahaaarti: शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने नए फैसले से सभी को चौका दिया है. अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उद्धव ठाकरे को निमंत्रण नहीं मिला है. ऐसे में उन्होंने 22 जनवरी को एक नया प्लान तैयार किया है. जिसके बाद वह चर्चा में आए है. उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में कहा कि उनकी पार्टी में 22 जनवरी को नाशिक में कालाराम मंदिर दर्शन के लिए जाएंगे. साथ ही गोदावरी नदी तट पर पार्टी के अन्य नेताओं के साथ मिलकर महाआरती करेंगे.
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एएनआई ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि पार्टी राम मंदिर अभिषेक दिवस पर महाराष्ट्र के नाशिक में `महा आरती` करेगी. पार्टी 22 जनवरी को राम मंदिर अभिषेक दिवस पर नाशिक में गोदावरी नदी के तट पर `महा आरती` करेगी. उद्धव ठाकरे ने आगे कहा, `बाला साहेब की जयंती 23 जनवरी को है, लेकिन चूंकि अयोध्या राम मंदिर का अभिषेक समारोह 22 जनवरी को होने जा रहा है, इसलिए शिव सेना उस दिन `महा आरती` की तैयारी में जुट गया है.
एएनआई के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने बताया कि `हम इस मामले में शामिल नहीं होना चाहते कि किसे निमंत्रण मिला है और किसे नहीं जब अयोध्या में प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा, उसी समय हम नाशिक के काला राम मंदिर में पूजा-अर्चना करके भाग लेंगे. उसी दिन, हम नासिक में ही पार्टी का सम्मेलन आयोजित करेंगे.`
बता दें, नाशिकका कालाराम मंदिर भगवान राम को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता और भाई लक्षम के साथ यहां पंचवटी में रुके थे. खैर, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोकझोंक हुई, जिसमें ठाकरे ने कहा कि उन्हें समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था.
उद्धव ठाकरे ने कहा था कि मैं बताना चाहूंगा कि मुझे कोई निमंत्रण नहीं मिला है. दूसरे, मुझे वहां जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है. राम लला किसी पार्टी की संपत्ति नहीं हैं, वह सभी के हैं. मैं बस इतना चाहता हूं कि इस कार्यक्रम का राजनीतिकरण न हो... यह निर्णय था सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, सरकार ने नहीं.`
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