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मोरारी बापू की रामकथा की तैयारी में राजकोट आध्यात्म के रंगो में रंगा

Updated on: 22 November, 2024 07:37 PM IST | Mumbai
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भगवान राम और तुलसीदास जी कृत रामचरितमानस (रामायण) की शिक्षाओं को समाज में स्थापित करने वाली मोरारी बापू की छह दशक लंबी यात्रा में यह 947वीं रामकथा है।

मोरारी बापू

मोरारी बापू

राजकोट में आध्यात्म की लहर शुरू हो गई है क्योंकि शहर प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और रामचरितमानस के व्याख्याता मोरारी बापू की बहुप्रतीक्षित रामकथा की मेजबानी कर रहा है। यह रामकथा 23 नवंबर, शनिवार को शाम 4 बजे से शुरु होगी। रेसकोर्स ग्राउंड में शनिवार को शुरू होने वाले इस पवित्र महा महोत्सव में भारत ही नहीं दुनिया भर से श्रद्धालु आयेंगे।


राजकोट की यह रामकथा खास है क्योंकि यह सिर्फ एक आध्यात्मिक पर्व ही नहीं बल्कि सेवा का प्रतीक भी है क्योंकि इससे आने वाला दान सद्भावना ट्रस्ट को दिया जायेगा जिससे वृद्धाश्रम का निर्माण और अन्य धर्मार्थ कार्य होंगें।

भगवान राम और तुलसीदास जी कृत रामचरितमानस (रामायण) की शिक्षाओं को समाज में स्थापित करने वाली मोरारी बापू की छह दशक लंबी यात्रा में यह 947वीं रामकथा है। सत्य, प्रेम और करुणा के अपने संदेशों के लिए पहचाने जाने वाले मोरारी बापू इस कथा के लिए सविशेष उत्सुक हैं क्योंकि इस बार आध्यात्मिकता का संगम एक महान उद्देश्य के साथ हो रहा है।

बता दें कि पडधरी में जामनगर रोड के पास स्थित सद्भावना वृद्धाश्रम को जरूरतमंद बुजुर्गों के लिए एक आश्रय स्थल के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा इस परियोजना में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण भी शामिल है जो इसे जलवायु परिवर्तन को कम करने के वैश्विक पर्यावरण प्रयासों से जोड़ती है ।

इस दिव्य कथा में लीन होने के साथ-साथ महान कार्य में योगदान देने के लिए लगभग 10,000 से अधिक भक्तगण, गणमान्य व्यक्ति और मेहमान पधारेंगे ।  मेहमानों का अतिथि सत्कार तथा आरामदायक अनुभव सुनिश्चित करने के लिए सात्विक भोजन तथा जलपान की व्यवस्था भी की गई है।

आध्यात्मिकता से भरपूर यह रामकथा सामूहिक सेवा के एक अनोखे मंच के रूप में भी काम करेगी। दर्जनों सामाजिक संगठन, नेता और स्वयंसेवक इस पहल को सफल बनानें के लिए पूर्ण समर्पण व्यक्त करके एक साथ आए हैं, जो समाज की उन्नति में सामूहिक प्रतिबद्धता को बताता है। सद्भावना वृद्धाश्रम 500 से अधिक बुजुर्ग नागरिकों के लिए एक आश्रय स्थल रहा है जो पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक चुनौतियों के साथ जोड़कर इस मिशन की सार्थकता को व्यक्त करता है।

1 दिसंबर को जिसकी पूर्णाहूति होगी ऐसी यह रामकथा न केवल भगवान राम की शाश्वत विरासत को नमन करती है, बल्कि सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए आध्यात्मिकता की क्षमता पर भी प्रकाश डालती है। राजकोट के निवासी और आनेवाले मेहमान सभी एक ऐसी रामकथा के लिए उत्साहित हैं जो अनन्त प्रभाव छोड़ेगी। बापू की यह कथा बेहतर भविष्य के लिए आस्था और सेवा का संगम है।

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