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नितिन गडकरी की पत्नी का अनूठा कृषि प्रयोग, उगाया एक 1किलो वजन वाला ऑर्गेनिक प्याज

Updated on: 30 May, 2025 09:37 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

कंचन गडकरी ने मल्चिंग पेपर तकनीक का उपयोग करके नागपुर के भक्ति फार्म में लगभग एक किलो वजन का ऑर्गेनिक प्याज उगाने में सफलता हासिल की है.

X/Pics, Nitin Gadkari

X/Pics, Nitin Gadkari

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पत्नी कंचन गडकरी ने एक अनूठा कृषि प्रयोग करते हुए मल्चिंग पेपर तकनीक के माध्यम से लगभग एक किलोग्राम वजन का ऑर्गेनिक प्याज उगाने में सफलता हासिल की है. इस खास प्रयोग की शुरुआत नीदरलैंड से लाए गए उच्च गुणवत्ता वाले प्याज के बीजों से हुई, जिन्हें लगभग ढाई किलो ग्राम मात्रा में नागपुर के धापेवाड़ा स्थित भक्ति फार्म में एक एकड़ खेत में लगाया गया.

नितिन गडकरी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट `X` पर इस सफलता की जानकारी देते हुए एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि मल्चिंग पेपर तकनीक के जरिए जमीन की नमी बरकरार रखी जाती है, जिससे पौधों को बेहतर पोषण मिलता है और वे स्वस्थ तरीके से विकसित होते हैं. मल्चिंग पेपर की यह प्रक्रिया मिट्टी को सूरज की गर्मी से बचाती है और खरपतवारों को भी नियंत्रित करती है, जिससे उपज में सुधार होता है.


कंचन गडकरी के इस प्रयोग को कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है क्योंकि इससे ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिलता है और किसानों को अधिक उत्पादन के साथ बेहतर आय का मार्ग मिलता है. उन्होंने कहा कि यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हो सकती है.


नितिन गडकरी ने बताया कि इस तरह के प्रयास कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित किया कि वे आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अपने उत्पादन को बढ़ाएं और ऑर्गेनिक खेती को अपनाएं ताकि स्वास्थ्यवर्धक और स्वच्छ भोजन का उत्पादन बढ़ सके.

धापेवाड़ा स्थित भक्ति फार्म में हुए इस प्रयोग से उम्मीद है कि किसान भी मल्चिंग पेपर तकनीक को अपनाकर उच्च गुणवत्ता वाली फसल उगा सकेंगे. यह तकनीक खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जहाँ पानी की कमी होती है या मिट्टी की उर्वरता कम होती है.


कंचन गडकरी के इस सफल प्रयोग से कृषि जगत में उत्साह बढ़ा है और इसे एक प्रेरणा के रूप में देखा जा रहा है, जो देश में सतत और जैविक खेती को बढ़ावा देने में मदद करेगा. इस पहल से किसानों को पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी मिलेगा.

इस तरह के प्रयास देश के कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और नई तकनीकों के माध्यम से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने में सहायक साबित होंगे.

 

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