ये फिल्में न केवल बॉक्सिंग के खेल को, बल्कि जीवन की जंग को भी प्रेरणादायक तरीके से प्रस्तुत करती हैं.
गुलाम (1998)
निर्देशक: सिद्धार्थ आनंद
मुख्य कलाकार: आमिर खान, रानी मुखर्जी
आमिर खान इस फिल्म में सिद्धार्थ उर्फ सिद्धू के रूप में दिखे हैं, जो एक शौकिया बॉक्सिंग खिलाड़ी है, लेकिन स्थानीय गुंडागर्दी में फंसा हुआ है. फिल्म की कहानी सिद्धू के संघर्ष और आत्म-मूल्य की खोज पर आधारित है, जहां वह अपने अतीत से बाहर निकलकर एक उच्च उद्देश्य के लिए लड़ता है. बॉक्सिंग के माध्यम से फिल्म ने न केवल व्यक्तिगत सुधार की कहानी दिखाई है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के पहलुओं को भी सामने रखा है.
तूफ़ान (2021)
निर्देशक: राकेश ओमप्रकाश मेहरा
मुख्य कलाकार: फरहान अख्तर
फरहान अख्तर ने इस फिल्म में अजीज अली नामक एक स्ट्रीट फाइटर का किरदार निभाया है, जो अपने अतीत के कठिन अनुभवों से उबर कर बॉक्सिंग में अपना भविष्य बनाता है. यह फिल्म एक व्यक्ति के व्यक्तिगत संघर्ष, आत्मविश्वास और परिवर्तन की कहानी है, जो उसे समाज के खिलाफ लड़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है.
दो लफ्जों की कहानी (2016)
निर्देशक: दीपक तिजोरी
मुख्य कलाकार: रणदीप हुडा, काजल अग्रवाल
रणदीप हुडा ने इस फिल्म में सूरज नामक एक पूर्व मुक्केबाज का किरदार निभाया है, जो एक अंधी महिला से प्यार करता है. सूरज को अपने अतीत का सामना करना पड़ता है और उसे अपनी प्रेमिका के लिए एक आखिरी मुक्केबाजी मैच में उतरना पड़ता है. यह फिल्म न केवल बॉक्सिंग के माध्यम से एक व्यक्ति के आंतरिक संघर्ष को दिखाती है, बल्कि सच्चे प्यार और कर्तव्य की भावनाओं को भी उजागर करती है.
मुक्काबाज़ (2017)
निर्देशक: अनुराग कश्यप
मुख्य कलाकार: विनीत कुमार सिंह, ज़हीर आईपुरा
इस फिल्म में विनीत कुमार सिंह ने श्रावण कुमार का किरदार निभाया है, जो एक जुनूनी बॉक्सिंग खिलाड़ी है और अपनी मेहनत, संघर्ष और प्रेम की खातिर सामाजिक अन्याय से जूझता है. फिल्म में रिंग के अंदर और बाहर के संघर्षों को शानदार तरीके से दर्शाया गया है, जहां खिलाड़ी को सिर्फ अपने सपनों को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न दबावों और शोषणों से भी लड़ा जाता है.
अपने (2007)
निर्देशक: महेश मांजरेकर
मुख्य कलाकार: धर्मेंद्र, सन्नी देओल, बॉबी देओल
इस फिल्म में धर्मेंद्र एक पूर्व बॉक्सिंग चैंपियन बलदेव सिंह का किरदार निभाते हैं, जो अपने बेटे सन्नी देओल (अंगद) और बॉबी देओल (कारण) के जरिए अपनी खोई हुई गौरव को फिर से हासिल करने की कोशिश करता है. यह फिल्म परिवार, स्वाभिमान और पुनर्निर्माण की भावुक कहानी है, जो खेल के जरिए एक व्यक्ति के आत्म-सम्मान और संघर्ष की कहानी को दर्शाती है.
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