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Chalti Rahe Zindagi Review: लॉकडाउन के बीच मानवीय भावनाओं और उम्मीद का ताना-बाना

Updated on: 27 July, 2024 07:01 PM IST | Mumbai
Anmol Awasthi | anmol.awasthi@mid-day.com

क्योंकि इस स्थिति में लोग लॉकडाउन में दुनिया में आए उन गहरे बदलावों से जूझ रहे होते हैं जिनकी उन्होंने इससे पहले कभी कल्पना ही नहीं की थी.

चलती रहे जिंदगी

चलती रहे जिंदगी

फिल्म- चलती रहे जिंदगी

डायरेक्टर- आरती एस. बागड़ी


लेखक- आरती एस बागड़ी , शाकिर खान और अरुण भूतरा


एक्टर्स- सीमा बिस्वास, सिद्धांत कपूर, रोहित खंडेलवाल, मंजरी फडनिस , त्रिमाला अधिकारी, बरखा सेनगुप्ता और इंद्रनील सेनगुप्ता 


महामारी का ताना-बाना 


आरती एस बागड़ी की पेशकश `चलती रहे जिंदगी`, घेरे में फंसी मानवीय भावनाओं की सिनेमाई खोज है. कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में बनी यह फ़िल्म आम लोगों की जटिल ज़िंदगी को दिखाती है, क्योंकि इस स्थिति में लोग एकाकीपन, अनिश्चितता और लॉकडाउन में दुनिया में आए उन गहरे बदलावों से जूझ रहे होते हैं जिनकी उन्होंने इससे पहले कभी कल्पना ही नहीं की थी. 

फिल्म देखते हुए लगेगा कि इनमें कई चीजों का अनुभव आपने भी लॉकडाउन में किया है और यही चीज इसे आपसे जोड़ने में एक महत्वपूर्ण बिंदु का काम करती है. फिल्म की कहानी एक आवासीय बिल्डिंग के अलग-अलग फ्लैट्स में रहने वाले कई लोगों की परस्पर जिंदगी से जुड़े किस्सों के ज़रिए सामने आती हैं और फिल्म की संपूर्ण कहानी किस्सों में इसलिए आकर्षक लगती है क्योंकि इसमें जीवन के हर रंग को दिखाने की बेहतर कोशिश हुई है. कहानी के मूल में, यह उस समय का एक मार्मिक प्रतिबिंब है, जो महामारी के अनुभव की विशेषता वाली कच्ची भावनाओं, कमज़ोरियों और लचीलेपन को दर्शाता है.


किरदारों का अंदाज

`चलती रहे जिंदगी` में हम कई तरह के किरदारों से मिलते हैं, जिनमें से हर एक अपने-अपने बोझ और उम्मीदों को लेकर चलता है. एक ऐसी बूढ़ी औरत है, जो अकेलेपन और अज्ञात डर से जूझ रही है. एक्ट्रेस सीमा बिस्वास ने इस किरदार लीला को लिमिटेड स्क्रीनटाइम में बेहद उम्दा तरीके से निभाकर अपने अभिनय का अद्भुत उदाहरण पेश किया है. इसके अलावा फिल्म में ब्रेड और रोजमर्रा के लिए इस्तेमाल में आने वाली चीजों को बेचने वाला छोटा व्यवसायी, लंबी दूरी के रिश्ते के तनावों से जूझता कपल, एक एंकर और उसके परिवार के बीच की उम्मीदें, फ्रंट लाइन डॉक्टर और एक महिला जो अपने काम और अपने घर दो मोर्चे पर एक साथ लड़ रही है. इन किरदारों के जरिए, फिल्म आर्थिक कठिनाइयों, भावनात्मक बोझ और महामारी के दौरान समाज को परेशान करने वाले अस्तित्व संबंधी सवालों पर प्रकाश डालती है.

मानवीय जुड़ाव

लॉकडाउन जैसे नए अनुभव के बीच निराशा और अलगाव से जूझते लोगों के बीच मानवीय जुड़ाव की स्थायी शक्ति पर भी `चलती रहे जिंदगी` प्रकाश डालती है. पड़ोसी विश्वासपात्र बन जाते हैं, अजनबी दोस्त बन जाते हैं और दयालुता के काम उम्मीद की किरण बनकर उभरते हैं. फ़िल्म ने उस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान पनपी सामुदायिक भावना को खूबसूरती से दर्शाया है.

मानसिक स्वास्थ्य का एक चित्रण

मानसिक स्वास्थ्य लॉकडाउन के समय लोगों के बीच एक अहम विषय बन गया था. `चलती रहे जिंदगी` इसकी मार्मिक खोज प्रस्तुत करती है जो लंबे समय तक कैद और अनिश्चितता के प्रभाव को उजागर करती है. फिल्म में लीला के किरदार में बुजुर्ग महिला की मानसिक स्थिति लॉकडाउन के दौरान कई लोगों द्वारा अनुभव किए गए अकेलेपन का प्रतीक है. एक छोटा व्यवसायी आर्थिक तंगी से परेशान है लेकिन फिर भी मुस्कुरा रहा है. लेकिन फिल्म अंधेरे से दूर नहीं भागती है, यह आशा के साथ मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों पर काबू पाने में मानवीय संबंधों के महत्व को प्रदर्शित करते हैं.

लॉकडाउन का टाइम कैप्सूल

`चलती रहे जिंदगी` कोविड-19 महामारी के एक महत्वपूर्ण क्षण के एक टाइम कैप्सूल की तरह है. जो याद दिलाता है क्या हमने सहा था और तब एक ताकत हमने अपने भीतर खोजी थी. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी लॉकडाउन के क्लॉस्ट्रोफोबिक माहौल को प्रभावी ढंग से कैप्चर करती है. अगर आप ड्रामा और थ्रिल से हटकर ठहराव के साथ कुछ रियलस्टिक और वास्तविक जीवन की झलक देखना चाहतें हैं तो अपनी स्क्रीन पर इस फिल्म को जरूर देखें. सीमा बिस्वास, सिद्धांत कपूर, रोहित खंडेलवाल, मंजरी फडनिस और बरखा सेनगुप्ता जैसी दमदार कास्ट के साथ यह फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म ज़ी5 पर स्ट्रीम हो रही है. `चलती रहे जिंदगी` बड़े-बूढ़े व्यक्ति से लेकर यूथ तक के लिए शानदार सिनेमाई डोज है.

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