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Papmochani Ekadashi 2024: जानिए कब है पापमोचनी एकादशी और क्या है इस दिन का महत्व

Updated on: 02 April, 2024 03:42 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

Papmochani Ekadashi 2024: हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचमी एकादशी मनाई जाती है. यह एकादशी दो प्रमुख त्योहारों होली और नवरात्रि के बीच में पड़ती है.

भगवान विष्ण.

भगवान विष्ण.

Papmochani Ekadashi 2024: हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचमी एकादशी मनाई जाती है. यह एकादशी दो प्रमुख त्योहारों होली और नवरात्रि के बीच में पड़ती है. इस साल 2024 में पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2024) 05 अप्रैल 2024 को है. मान्यता है कि इस एकादशी में अगर जाने अनजाने में किए गए कोई पाप हों तो उनसे मुक्ति मिल जाती है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे करें इस एकादशी पर पूजा और क्या है इस दिन का महत्व...

पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा


धार्मिक मान्यता के अनुसार पुरातन काल में चैत्ररथ नामक एक सुंदर वन था. जहां ज्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या करते थे. इस वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ वहां विचरण किया करते थे. मेधावी ऋषि शिव भक्त थे और अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव को मानने वाली थीं. एक समय कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने मंजूघोषा नामकर अप्सरा को भेजा और मेधावी ऋषि उन पर मोहित हो गए.इसके बाद कई सालों तक मंजूघोषा के साथ समय बिताते रहे.जब मंजूघोषा ने वापस जाने की अनुमति मांगी तो उन्हें अपनी भूल का ज्ञान हुआ.


इसके बाद मेधावी ऋषि ने अपनी तपस्या भंग होने के क्रोध में मंजूघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया. इस पर अप्सरा ऋषि के पैरों पर गिर गई और अपनी भूल के लिए क्षमा मांगी. इस पर ऋषि मेधावी ने कहा पापमोचनी एकादशी पर व्रत करने से तुम्हारे समस्त पापों का नाश हो जाएगा और तुम अपने पुराने रूप को फिर से प्राप्त कर लोगी. पापमोचनी एकादशी पर इसीलिए अपने पापों का प्रायश्चित्त करने के लिए व्रत किया जाता है.

इस तरह करते हैं पूजा


पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2024) पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है. व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की मूर्ती या प्रतिमा का पूजन किया जाता है. उन्हें चंदन का लेप, फल, दीपक और धूप चढ़ाया जाता है. इसके साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण स्त्रोत का भी पाठ किया जा सकता है. एकादशी पर व्रत रहकर इसके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराया जा सकता है उन्हें दक्षिणा देकर विदा करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है.

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